उत्तराखण्ड
उत्तराखंड में स्मार्ट मीटरों का विरोध, विपक्ष का सदन से बहिर्गमन
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को स्मार्ट मीटरों के मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस विधायकों ने स्मार्ट मीटर लगाने के विरोध में सदन से बहिर्गमन किया। इससे पहले, कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा के प्रवेश द्वार पर धरना भी दिया।
कांग्रेस का विरोध:
कांग्रेस का आरोप है कि सरकार जबरन आम जनता पर स्मार्ट मीटर थोप रही है। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने कहा कि दो वर्ष पहले ही डिजिटल मीटर लगाए गए थे, जिनमें भ्रष्टाचार की बातें सामने आई थीं। अब फिर से मीटर बदले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने अदाणी समूह को प्री-पेड मीटर लगाने का कार्य सौंपा है, जिसके विरोध में प्रदेश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद कंपनियां जनता पर मनचाहा दबाव बनाएंगी और रिचार्ज न करने पर बिजली स्वत: ही कट जाएगी। जहां नेटवर्क नहीं होगा, वहां लोग इसका कैसे इस्तेमाल करेंगे। जहां पहले स्मार्ट मीटर लगे हैं, वहां उनमें काफी खामियां आ रही हैं। कांग्रेस इसका पुरजोर विरोध करती है।
कांग्रेस विधायकों ने यह भी कहा कि सरकार ने गढ़वाल और कुमाऊं में अलग-अलग कंपनियों को 2027 करोड़ की लागत से इन मीटरों को लगाने का ठेका दिया है। गढ़वाल में यह ठेका जेनेसिस कंपनी को दिया है, जिसके यहां ईडी का छापा पड़ा है और उसके दो अधिकारी जेल में हैं। उन्होंने कहा कि स्मार्ट मीटर का बिल 28 दिन में आएगा, यानी आम जनता को 12 माह के स्थान पर 13 माह का बिल भुगतान करना होगा।
सरकार का जवाब:
संसदीय कार्य मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली चोरी रुकेगी और ऑनलाइन रीडिंग आने से बिलिंग की समस्या समाप्त होगी। उन्होंने कहा कि कंपनी का चयन पूरी पारदर्शिता से किया गया है और सरकार इस पर सोच समझ कर काम कर रही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि स्मार्ट मीटर पर्वतीय क्षेत्रों और ऐसे ग्रामीण क्षेत्रों में अभी नहीं लगाए जाएंगे, जहां इंटरनेट कनेक्शन नहीं है। उन्होंने कहा कि यह मीटर प्री-पेड नहीं, बल्कि पोस्ट-पेड मोड पर ही लगाए जा रहे हैं।
विपक्ष का बहिर्गमन:
सरकार के जवाब से नाराज विपक्ष ने सदन से बहिर्गमन कर दिया।
