हरिद्वार
पारिजात कवि गोष्ठी में कवियों ने समर्पण और कृतज्ञता के स्वर में गूँजा साहित्य
हरिद्वार। नगर की अग्रणी साहित्यिक संस्था ‘पारिजात साहित्यिक मंच’ द्वारा आयोजित कवि गोष्ठी में विविध रसों और भावनाओं से सजे काव्यपाठ ने श्रोताओं को देर रात तक बाँधे रखा। गंगा गीतकार रमेश रमन की अध्यक्षता व ओजस्वी युवा कवि दिव्यांश ‘दुश्यन्त’ के संचालन में आयोजित इस आयोजन की मेज़बानी संस्था के सचिव व गीतकार भूदत्त शर्मा ने अपने आवास पर की।

दीप प्रज्वलन के बाद प्रारम्भ हुई गोष्ठी की शुरुआत भूदत्त शर्मा की वाणी वंदना से हुई। वरिष्ठ कवि साधुराम पल्लव ने मानवीय मनोवृत्तियों को स्वर दिए। गीतकार अरुण कुमार पाठक ने ईश्वर के प्रति कृतज्ञता दर्शाई तो कंचन प्रभा गौतम ने प्रेमरस के भावुक गीत से वातावरण को सजाया। डा. अशोक गिरि ने सदाचार और आध्यात्मिक आत्मपरिचय प्रस्तुत किया।
गीतकार भूदत्त शर्मा, रमेश रमन, शशिरंजन समदर्शी, सोनेश्वर कुमार ‘सोना’, राजकुमारी राजेश्वरी, अरविंद दुबे, दिव्यांश ‘दुश्यंत’, वृंदा ‘वाणी’, कन्हैयालाल झींगरन, अपराजिता ‘उन्मुक्त’ और रवीना राज सहित कई कवियों ने देश, धर्म, समाज, प्रेम, आत्मा और मानवीय संबंधों पर आधारित रचनाओं के माध्यम से भाव-समृद्ध प्रस्तुति दी।
कवि वृंदा ‘वाणी’ की ओजमयी कविता ‘अब आरंभ रण का होगा’, रवीना राज की आत्मस्वीकृति-प्रधान कविता, तथा कन्हैयालाल झींगरन की सूफ़ियाना प्रस्तुति ने विशेष सराहना प्राप्त की।’पारिजात’ की यह गोष्ठी एक भावपूर्ण साहित्यिक संध्या के रूप में रचनाशीलता, श्रद्धा और आभार का जीवंत संगम बनी।
