दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाले देशों में शुमार चीन इन दिनों एक अनोखे प्रयोग में जुटा है। देश की घटती जनसंख्या को देखते हुए चीन सरकार ने कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में ‘प्रेम शिक्षा’ शुरू करने का फैसला लिया है। इस पहल का उद्देश्य युवाओं में शादी, परिवार और प्रजनन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करना है।
क्यों उठाया गया ये कदम चीन में लगातार दूसरे साल जनसंख्या में गिरावट दर्ज की गई है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, 57% कॉलेज छात्र पढ़ाई और रोमांस के बीच संतुलन बनाने में कठिनाइयों का हवाला देते हुए रिश्तों को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं रखते थे। यह स्थिति देश के आर्थिक विकास और सामाजिक ढांचे के लिए चुनौती बनती जा रही है। बढ़ती उम्र की आबादी और घटती युवा जनसंख्या के बीच संतुलन बिगड़ने का खतरा मंडरा रहा है।
शिक्षण संस्थानों की भूमिका:
सरकार ने शिक्षण संस्थानों को शादी और “लव एजुकेशन” देने की जिम्मेदारी सौंपी है। इन पाठ्यक्रमों के माध्यम से युवाओं को विवाह और परिवार को लेकर जागरूक करने और एक स्वस्थ सांस्कृतिक वातावरण तैयार करने का लक्ष्य रखा गया है। स्थानीय निकायों को भी इस दिशा में संसाधन लगाने और सही उम्र में विवाह को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए गए हैं।
क्या होगा असर?
विशेषज्ञों का मानना है कि आधुनिक चीनी युवाओं के विचार और प्राथमिकताएं पहले से काफी बदल चुकी हैं, इसलिए सरकार के ये कदम युवाओं के बीच उतने प्रभावी नहीं होंगे। लेकिन, “प्रेम शिक्षा” के माध्यम से शादी और प्रजनन को प्रोत्साहित करना चीन के सामाजिक और आर्थिक भविष्य को सुरक्षित रखने की एक कोशिश है।
क्या हैं चुनौतियां?
* युवाओं की बदलती प्राथमिकताएं: आधुनिक चीनी युवा करियर और व्यक्तिगत विकास को अधिक महत्व देते हैं।
* शहरीकरण: शहरीकरण के कारण जीवनशैली में बदलाव आया है, जिसका असर परिवार नियोजन के फैसलों पर पड़ रहा है।
* महिलाओं की शिक्षा: महिलाओं की शिक्षा में वृद्धि ने भी जन्म दर को प्रभावित किया है।