देहरादून। देश के लिए गर्व और महत्वपूर्ण अवसर है कि 355 आफिसर कैडेट अधिकारी के रूप में हमारी गौरवशाली सेना का हिस्सा बन रहे हैं। मित्र देशों के 39 कैडेट शामिल हैं।
सेना के उत्तरी कमान के जनरल आफिसर कमांडिंग इन चीफ लेफ्टिनेंट जनरल एमवी सुचेंद्र कुमार ने जटिल और प्रतिस्पर्धी युद्धक्षेत्र में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तकनीकी दक्षताओं को बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने शनिवार को भारतीय सैन्य अकादमी में आयोजित पासिंग आउट परेड की सलामी ली।
इस दौरान आफिसर कैडेट को संबोधित करते उन्होंने कहा कि तकनीकी प्रगति के बीच युद्ध की प्रकृति भी तेजी से बदल रही है। प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष, साइबर और सूचना क्षेत्रों में प्रगति, पारंपरिक उपकरणों की क्षमताओं में प्रगति, लगातार युद्ध का परिदृष्य बदल रही हैं। यह अधिक जटिल, संघर्षपूर्ण और घातक है। इन चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
यह कहावत भी याद रखें कि मशीन के पीछे का व्यक्ति ही सबसे ज्यादा मायने रखता है। शारीरिक फिटनेस, मानसिक चपलता, तार्किक सोच, तकनीकी कौशल और खुद को परिस्थिति के अनुसार ढालने की क्षमता ही आपकी सफलता तय करेगी।
कैडेटों को बधाई देते हुए कहा कि यह वह क्षण है जो जीवनकाल में एक बार ही आता है। यह आपके भविष्य में किए जाने वाले प्रयासों के लिए भी प्रेरणा बनेगा। भारतीय सैन्य अकादमी ने आपको एक अधिकारी, एक भद्रजन के लिए उपयुक्त ज्ञान और गुणों से आपको सुसज्जित किया है। भारतीय सेना को अपने सैनिकों पर गर्व है।
विश्व में सर्वश्रेष्ठ इन सैनिकों के पास युद्ध से प्राप्त ज्ञान और कई वर्षों का आपरेशनल अनुभव है। जब आप अपनी यूनिट में जाएंगे तो यह सैनिक साहस, सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और चरित्र की कटौसी पर आपकी परख करेंगे। उन्हें सुनें व उनकी बातों को महत्व दें। कैडेटों को उत्कृष्ट ड्रिल के लिए बधाई देते उन्होंने कहा कि यह उनके कठोर परिश्रम, अनुशासन और कड़े प्रशिक्षण का प्रतिबिम्ब है।
आईएमए की पीओपी में पासआउट होकर सेना का हिस्सा बने 355 आफिसर कैडेट
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