हल्द्वानी। तराई पूर्वी वन प्रभाग में अवैध कटान के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक वन आरक्षी को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही एक वन दरोगा को कार्यालय से अटैच किया गया है। इस मामले में रेंजर से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
बीते दिनों प्रभाग की किशनपुर रेंज की रैखाल बीट में अवैध कटान की शिकायत मिली थी। इस शिकायत के आधार पर डीएफओ हिमांशु बागरी ने एक टीम गठित कर जांच के आदेश दिए। जांच में पाया गया कि बीट में जलौनी सोख्ता को अवैध रूप से बेचा जा रहा था। साथ ही, हाथियों के प्रिय भोजन रोहिणी के पेड़ों को भी काटा जा रहा था।
इस गंभीर मामले में डीएफओ ने 14 जनवरी को वन आरक्षी महेश चंद्र आर्य को निलंबित कर दिया। इसके अलावा, एक वन दरोगा केएस नेगी को कार्यालय से अटैच किया गया है। सूत्रों के अनुसार, इस मामले में कुछ अन्य कर्मचारियों पर भी कार्रवाई की जा सकती है।
रोहिणी के पेड़ों का भी हुआ अवैध कटान:
जांच में यह भी पता चला है कि जलौनी सोख्ता के साथ रोहिणी के पेड़ों को भी काटकर ठिकाने लगाया गया था। रोहिणी के पेड़ हाथियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इन पेड़ों की पत्तियां और टहनियां हाथियों का मुख्य भोजन होती हैं।
विभागीय अधिकारियों पर दबाव का आरोप:
सूत्रों का कहना है कि विभाग के कुछ अधिकारी इस मामले को दबाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, डीएफओ ने इस मामले में सख्त कार्रवाई करते हुए दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
पिछले साल भी हुआ था ऐसा मामला:
गौरतलब है कि किशनपुर रेंज में 2022 में भी जलौनी सोख्ता बेचने और रोहिणी के पेड़ों को काटने का मामला प्रकाश में आया था।