हल्द्वानी। उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू होने के बाद से ही इस पर चर्चा और बहस जारी है। हाईकोर्ट अधिवक्ता एवं नारी शक्ति एवं बाल विकास जन जागृति समिति रामनगर के उपाध्यक्ष मनु अग्रवाल ने यूसीसी के कुछ प्रावधानों पर चिंता जताई है। उनका मानना है कि इन प्रावधानों से प्रदेश भर के अधिवक्ताओं के हित प्रभावित हो रहे हैं।
मनु अग्रवाल की चिंता के मुख्य बिंदु:
- ऑनलाइन प्रक्रिया: यूसीसी के तहत विवाह पंजीकरण, उत्तराधिकार अधिनियम और वसीयत का पंजीकरण आदि की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। मनु अग्रवाल का मानना है कि इससे अधिवक्ताओं की आवश्यकता कम हो जाएगी, जिससे उनके हित प्रभावित होंगे।
- प्रक्रिया में बदलाव: यूसीसी में कई प्रावधानों में बदलाव किया गया है। मनु अग्रवाल का मानना है कि इन बदलावों से अधिवक्ताओं को परेशानी होगी और उन्हें अपनी प्रैक्टिस में बदलाव करना होगा।
- आम जनता को परेशानी: मनु अग्रवाल का मानना है कि यूसीसी में कई खामियां हैं, जिनसे भविष्य में आम जनता को भी कई प्रकार की विधिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा।
मनु अग्रवाल की मांग:
मनु अग्रवाल ने राज्य सरकार से मांग की है कि वह यूसीसी के इन प्रावधानों पर पुनर्विचार करे और अधिवक्ताओं के हितों को सुरक्षित रखने के लिए उचित समाधान निकाले। उन्होंने कहा कि यूसीसी के इन प्रावधानों में व्यवहारिक कमियां हैं, जो आम जनमानस के हित में नहीं है।
अधिवक्ताओं के हित:
मनु अग्रवाल का मानना है कि यूसीसी के कुछ प्रावधान अधिवक्ताओं के हितों को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि अधिवक्ताओं को अपनी प्रैक्टिस चलाने के लिए और आम जनता को कानूनी सलाह देने के लिए यूसीसी के बारे में पूरी जानकारी होनी चाहिए।
सरकार का पक्ष:
राज्य सरकार का कहना है कि यूसीसी सभी नागरिकों के लिए समान है और इससे किसी के हितों का हनन नहीं होता है। सरकार ने कहा कि यूसीसी को लागू करने का उद्देश्य सभी नागरिकों को समान अधिकार दिलाना है।
