उत्तरकाशी: विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल यमुनोत्री धाम के कपाट आज भैया दूज के पावन पर्व पर शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। दोपहर 12 बजकर 5 मिनट पर विशेष पूजा-अर्चना के साथ कपाट बंद हुए। अब अगले छह महीने तक मां यमुना के दर्शन शीतकालीन प्रवास स्थल खरसाली गांव में किए जा सकेंगे।
सुबह आठ बजे मां यमुना के भाई शनिदेव समेश्वर महाराज अपनी बहन को लेने यमुनोत्री धाम पहुंचे थे। इसके बाद मंदिर में सैकड़ों श्रद्धालुओं और स्थानीय देव डोलियों की मौजूदगी में मां यमुना के मंदिर के कपाट बंद हुए। ग्रामीणों ने मां यमुना की डोली का फूल मालाओं, धूप, दीप और नैवेद्य के साथ भव्य स्वागत किया।
इस अवसर पर पुरोहित महासभा अध्यक्ष पुरुषोत्तम उनियाल, यमुनोत्री विधायक संजय डोभाल, पुरोहित समाज के कई गणमान्य सदस्य, स्थानीय प्रशासन के अधिकारी और बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
शीतकालीन प्रवास
यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के बाद मां यमुना की डोली को खरसाली गांव स्थित उनके शीतकालीन निवास ले जाया जाएगा। यहां छह महीने तक श्रद्धालु मां यमुना के दर्शन कर सकेंगे।
धार्मिक महत्व
यमुनोत्री धाम चार धाम यात्रा के प्रमुख तीर्थस्थलों में से एक है। यहां मां यमुना का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि मां यमुना का उद्गम यहीं से होता है। हर साल लाखों श्रद्धालु यहां मां यमुना के दर्शन करने आते हैं।
समापन
यमुनोत्री धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चार धाम यात्रा का एक चरण पूरा हो गया है। अब श्रद्धालुओं को अगले वर्ष तक मां यमुना के दर्शन के लिए इंतजार करना होगा।
यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, मां यमुना पहुंची शीतकालीन निवास
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