नई दिल्ली: भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक और अंधाधुंध इस्तेमाल एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है। भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक नए अध्ययन से पता चला है कि देश में रोगाणु एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी क्षमता विकसित कर रहे हैं। इसका मतलब है कि ये दवाएं अब उन संक्रमणों से लड़ने में उतनी प्रभावी नहीं रह गई हैं जितनी पहले थीं।
अध्ययन में क्या पाया गया:
* क्लेबसिएला निमोनिया और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी: ये दोनों ही रोगाणु खून के संक्रमण के लिए जिम्मेदार हैं और आईसीयू में भर्ती मरीजों में आम पाए जाते हैं। अध्ययन में पाया गया है कि ये दोनों ही रोगाणु एंटीबायोटिक इमिपेनेम के प्रति प्रतिरोधी हो गए हैं।
* स्टैफिलोकोकस आरियस और एंटरोकोकस फेसियम: ये दो अन्य रोगाणु क्रमशः आक्सासिलिन और वैनकोमाइसिन नामक एंटीबायोटिक दवाओं के प्रति प्रतिरोधी पाए गए हैं।
* ई. कोलाई: ई. कोलाई बैक्टीरिया के कारण होने वाले रक्त संक्रमण के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाले एंटीबायोटिक पाइपेरासिलिन-टाजोबैक्टम और कार्बापेनम भी अब कम प्रभावी होते जा रहे हैं।
* एसिनेटोबैक्टर बाउमानी: वर्ष 2023 में एसिनेटोबैक्टर बाउमानी में कार्बापेनम के प्रति प्रतिरोध 88 प्रतिशत दर्ज किया गया।
क्या है एंटीबायोटिक प्रतिरोध:
एंटीबायोटिक प्रतिरोध एक ऐसी स्थिति है जिसमें बैक्टीरिया एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव से बचने की क्षमता विकसित कर लेते हैं। इसका मतलब है कि ये दवाएं इन बैक्टीरिया को खत्म करने में सक्षम नहीं रहती हैं।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण:
* एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग: डॉक्टरों की सलाह के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करना।
* पूरा कोर्स पूरा न करना: डॉक्टर द्वारा बताई गई खुराक और अवधि के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करना।
* कृषि में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग: पशुओं को संक्रमण से बचाने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं का अत्यधिक उपयोग।
एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खतरे:
* संक्रमण का इलाज मुश्किल: एंटीबायोटिक प्रतिरोध के कारण संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है।
* मृत्यु दर में वृद्धि: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण से मृत्यु दर बढ़ सकती है।
* स्वास्थ्य देखभाल लागत में वृद्धि: एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण का इलाज करने में अधिक समय और धन खर्च होता है।
क्या किया जाना चाहिए:
* एंटीबायोटिक दवाओं का सावधानीपूर्वक उपयोग: डॉक्टर की सलाह के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग नहीं करना चाहिए।
* पूरा कोर्स पूरा करें: डॉक्टर द्वारा बताई गई खुराक और अवधि के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करना चाहिए।
* स्वच्छता का ध्यान रखें: हाथों को नियमित रूप से धोएं और स्वच्छ भोजन का सेवन करें।
* टीकाकरण: समय पर टीकाकरण करवाएं।
* जानकारी का प्रसार: लोगों को एंटीबायोटिक प्रतिरोध के खतरों के बारे में जागरूक करना चाहिए।
चिन्ताजनक : भारत में एंटीबायोटिक दवाओं का कम हो रहा असर, संक्रमण से लड़ने में आई कमी
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