देहरादून: उत्तराखंड सरकार ने राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में पारंपरिक बाखली शैली के आवासों को बढ़ावा देने के लिए एक नई आवास नीति लागू की है। इस नीति के तहत, बाखली शैली के आवासों के निर्माण पर सरकार आर्थिक मदद करेगी।
क्या है बाखली शैली?
बाखली शैली उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में सदियों से प्रचलित एक पारंपरिक आवास शैली है। इस शैली में बने घर लकड़ी और पत्थर से बनाए जाते हैं और इनकी छतें ढलानदार होती हैं। इन घरों में कई परिवार एक साथ रहते थे, जिससे समुदाय भावना मजबूत होती थी।
नई आवास नीति की मुख्य बातें:
* सरकारी अनुदान: सरकार बाखली शैली के आवासों के निर्माण पर 4.5 लाख रुपये का अनुदान देगी।
* न्यूनतम 10 आवास: एक आवासीय परियोजना में कम से कम 10 बाखली शैली के आवास होने चाहिए।
* सामूहिक आंगन: इन आवासों में कम से कम दो मीटर चौड़ा सामूहिक आंगन बनाना होगा।
* विकासकर्ताओं को छूट: योजना बनाने वाले विकासकर्ताओं को मानचित्र स्वीकृति शुल्क, भू-उपयोग परिवर्तन शुल्क, भूमि क्रय के स्टांप शुल्क आदि में छूट दी जाएगी।
* सुगमता प्रकोष्ठ: भूमि खरीदने की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए एक सुगमता प्रकोष्ठ बनाया जाएगा।
* भू-उपयोग परिवर्तन: भू-उपयोग परिवर्तन के आवेदनों पर निर्णय लेने का समय निर्धारित किया गया है।
क्यों महत्वपूर्ण है यह नीति?
* पारंपरिक शैली का संरक्षण: यह नीति उत्तराखंड की पारंपरिक बाखली शैली को संरक्षित करने में मदद करेगी।
* पर्यटन को बढ़ावा: बाखली शैली के आवास पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं।
* ग्रामीण विकास: यह नीति ग्रामीण क्षेत्रों के विकास में मदद करेगी।
* समुदाय भावना: बाखली शैली के आवासों में कई परिवार एक साथ रहते थे, जिससे समुदाय भावना मजबूत होती थी। यह नीति इस समुदाय भावना को पुनर्जीवित करने में मदद करेगी।
आगे क्या होगा?
इस नीति के लागू होने से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों का स्वरूप बदल सकता है। अधिक से अधिक लोग बाखली शैली के आवासों का निर्माण करवाएंगे, जिससे राज्य की पारंपरिक संस्कृति को नया जीवन मिलेगा।