शहादत दिवस पर लोक वाहिनी ने की संगोष्ठी
अल्मोड़ा। सरदार भगत सिंह की शहादत दिवस पर आज उत्तराखंड लोक वाहिनी ने एक संगोष्ठी आयोजित की। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता वाहिनी के वरिष्ठ नेता जगत सिंह रौतेला ने की तथा कार्यक्रम का संचालन दयाकृष्ण कांडपाल ने किया। इस अवसर पर अपनी बात रखते हुए, वक्ताओं ने कहा कि सरदार भगत सिंह ने इस देश की आजादी के लिए अपनी शहादत दे दी। उनका सपना था कि भारत में हर गरीब वह अमीर के बीच की खाई समाप्त हो सके। किंतु आजादी के इन 70 सालों में यह खाई और मजबूत हो गई है। देश में लोकतांत्रिक मूल्यों का विकास होने के बजाय ह्रास हो रहा है। सामाजिक कट्टरता के साथ ही अब सरदार भगत सिंह के विचारों की आज समूचे भारत , पाकिस्तान व बांग्लादेश सहित भारतीय उप महाद्वीप में प्रासंगिकता बढ रही है ।
जैसा की विदित है कि उत्तराखंड राज्य आंदोलन के दौरान यह परिकल्पना की गई थी कि उत्तराखंड की राजधानी राज्य के मध्य में स्थापित की जाएगी किंतु राज्य बनने के 23 वर्ष बाद भी राजधानी पहाड़ में नहीं बन पायी है। अभी तक भी आंदोलनकारी ताकते उत्तराखंड राज्य की स्थाई राजधानी गैरसैण घोषित करने के लिए आंदोलन कर रहे हैं। भू -कानूनों पर सरकार मौन है , पिछली त्रिवेन्द्र सिह सरकार ने गैरसैण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया और राजधानी के नाम पर कर्मचारियों की भर्ती की गयी, किंतु गैरसैंण में ज्ञापन लेने को भी कोई राज्य स्तरीय कर्मचारी अधिकारी उपस्थित नहीं है। यही इस पर्वतीय राज्य के साथ ठगी है। इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा क्यों उड़ीसा सरकार भारत में एक ऐसी राज्य सरकार है काम कर रही है जिस सरकार ने संविदा में नियुक्ति के बजाय यह नीति बनाई है कि कर्मचारियों को संविदा के बजाय स्थाई नियुक्ति प्रदान की जाए, यह देश में एक उदाहरण है ।वक्ताओं ने कहा कि उत्तराखंड सरकार को भी उड़ीसा सरकार से सीखना चाहिए अस्थाई संविदा कर्मचारियों के बजाय स्थाई कर्मचारियों की राज्य में नियुक्ति हो। राज्य कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन कर रहे हैं एक समाजवादी राज्य में यह व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए कि वृद्धावस्था में लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना ना करना पड़े । सरकार नकल बिरोधी कानूनों का ढिढौरा पीट रही है । जबकि बेरोजगार पिछली नियुक्त्यों की सी बी आई जांच की माग कर रहे है ।
बैठक मे जगत रौतेला वाहिनी के उपाध्यक्ष जंगबहादुर थापा, अजय मित्र बिष्ट , दयाकृष्ण काण्डपाल , कुणाल , रेवती विष्ट, विशन दत्त जोशी , पूरन चन्द्र तिनारी , मो अनिउद्दीन आदि लोग मौजूद रहे ।