हरिद्वार: जूना अखाड़े ने एक बड़ा फैसला लेते हुए 13 साल की एक नाबालिग लड़की को साध्वी बनाने वाले महंत कौशल गिरि को सात साल के लिए निष्कासित कर दिया है। अखाड़े के नियमों के विरुद्ध नाबालिग लड़की को साध्वी बनाए जाने के इस मामले में अखाड़े ने सख्त कार्रवाई करते हुए यह निर्णय लिया है।
शुक्रवार को हुई एक बैठक में सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि नाबालिग लड़की को अखाड़े से निकालकर उसके माता-पिता के पास भेज दिया जाए। अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि जूना अखाड़े के नियमों के अनुसार, 25 वर्ष से कम उम्र की लड़की को साध्वी नहीं बनाया जा सकता। महंत कौशल गिरि ने इस नियम का उल्लंघन किया है, इसलिए उन्हें अखाड़े से निष्कासित किया गया है।
श्रीमहंत नारायण गिरि ने बताया कि नाबालिग लड़की को उसके माता-पिता के साथ सम्मान के साथ उसके घर भेज दिया गया है। अखाड़े के नियमों के अनुसार, यदि कोई माता-पिता अपने छोटे बेटे को जूना अखाड़े को दान देना चाहते हैं तो उन्हें ऐसा करने की अनुमति है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला कई कारणों से महत्वपूर्ण है:
* बाल सुरक्षा: यह मामला बच्चों के अधिकारों और उनकी सुरक्षा के मुद्दे को उठाता है।
* धार्मिक संस्थाओं में पारदर्शिता: यह मामला धार्मिक संस्थाओं में पारदर्शिता और जवाबदेही की आवश्यकता पर जोर देता है।
* समाज में महिलाओं की स्थिति: यह मामला समाज में महिलाओं की स्थिति और उनके अधिकारों के मुद्दे को उठाता है।
क्या हैं इस मामले के निहितार्थ?
इस मामले से यह स्पष्ट होता है कि जूना अखाड़ा अपने नियमों का पालन करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस फैसले से अन्य धार्मिक संस्थाओं को भी संदेश जाएगा कि उन्हें अपने नियमों का पालन करना चाहिए और बच्चों के हितों की रक्षा करनी चाहिए।
आगे क्या होगा?
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले में आगे क्या होता है। क्या अन्य धार्मिक संस्थाएं भी इस तरह के कदम उठाएंगी? क्या सरकार इस तरह के मामलों में सख्त कानून बनाएगी?