नैनीताल। हाईकोर्ट ने राज्य में तय समय पर निकाय चुनाव न कराए जाने को लेकर दायर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार से पूछा कि पूर्व के आदेश पर निकाय चुनाव कराने के लिए क्या प्लान पेश किया। पूर्व में कोर्ट ने सरकार को यह बताने को कहा था कि कब तक राज्य चुनाव आयुक्त नियुक्त करेंगे, और निकाय चुनाव कब तक संपन्न हो जाएंगे।
मामले में आज अपर सचिव शहरी विकास नितिन भदौरिया कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट को अवगत कराया कि अगस्त अंतिम सप्ताह या सितंबर प्रथम सप्ताह में राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति कर दी जाएगी और 25 अक्तूबर तक निकाय चुनाव संपन्न करा लिए जाएंगे। सुनवाई पर राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य में तय समय के भीतर चुनाव लोकसभा चुनाव की वजह से नहीं हो पाए। क्योंकि राज्य का प्रशासन लोक सभा के चुनाव सम्पन्न कराने में व्यस्त था। उसके बाद बरसात शुरू हो गई और आधा प्रशासन आपदा में व्यस्त है। ऐसी परिस्थिति में राज्य निकाय चुनाव सम्पन्न कराने में सक्षम नही था। अभी राज्य आपदा झेल रहा है, जिसकी वजह से निकाय चुनाव तय समय पर नही हो सके। अब सरकार 25 अक्टूबर से पहले निकाय चुनाव कराने को तैयार है।
राज्य चुनाव आयोग की ओर से कहा गया कि कार्यकाल दिसंबर 2023 में समाप्त हो गया। सरकार ने इनको चलाने के लिए अपने प्रशासक छह माह के लिए नियुक्त कर दिए। अब जून 2024 को छह माह बीत गए प्रशासकों का कार्यकाल फिर समाप्त हो गया। राज्य सरकार ने चुनाव न कराकर फिर कार्यकाल बढ़ा दिया। अब सरकार ने निकायों का कार्यकाल समाप्त होने के आठ माह बीत जाने के बाद कई नगर निगम व नगर पंचायतों को घोषणा कर दी। जो चुनाव आयोग के लिए कई परेशानियां खड़ी कर सकता है। जबकि यह प्रक्रिया दिसंबर 2023 के छह माह पहले की जानी थी।
याचिकाकर्ता का कहना था कि संविधान के अनुसार उनको मिले अधिकारों के तहत निकायों के कार्यकाल समाप्त होने से छह माह पहले राज्य, परिसीमन, आरक्षण व अन्य की जांच कर लेनी थी जो नही की। राज्य सरकार द्वारा बार बार इस तरह के कोर्ट में बयान देने के बाद भी चुनाव नही हुए तो राज्य दुर्भाग्य होगा। दो बार राज्य सरकार पहले चुनाव कराने का बयान दे चुकी है।
मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी एवं न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। मामले के अनुसार जसपुर निवासी मोहम्मद अनवर ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि नगर पालिकाओं व नगर निकायों का कार्यकाल दिसंबर माह में समाप्त हो गया है। लेकिन कार्यकाल समाप्त हुए आठ माह बीत गए फिर भी सरकार ने चुनाव कराने का कार्यक्रम घोषित नही किया उल्टा निकायों में अपने प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ा दिया। प्रशासक नियुक्त होने की वजह से आमजन को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
प्रशासक तब नियुक्त किया जाता है जब कोई निकाय भंग की जाती है। उस स्थिति में भी सरकार को छह माह के भीतर चुनाव कराना आवश्यक होता है। यहां इसका उल्टा है। निकायों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है। लेकिन अभी तक चुनाव कराने का कार्यक्रम तक घोषित तक नही किया गया और न ही सरकार ने कोर्ट के आदेश का पालन किया। इसलिए सरकार को फिर से निर्देश दिए जाए कि निकायों के शीघ्र चुनाव कराए जाए।
25 अक्तूबर तक उत्तराखंड में हो जाएंगे नगर निकाय चुनाव, राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में रखा अपना पक्ष
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