देहरादून: इंडो-तिब्बतन बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) की 7वीं बटालियन, मिर्थी, जिला पिथौरागढ़ में 22 लाख रुपये के भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। सीबीआई ने इस मामले में बटालियन के तत्कालीन अफसरों, ठेकेदारों और अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
क्या है मामला?
आरोप है कि बटालियन के तत्कालीन अफसरों ने वर्ष 2017-19 के बीच केरोसिन खरीद और ढुलाई के खर्च में गड़बड़ी की। उन्होंने निजी ठेकेदारों के साथ मिलकर 8000 लीटर केरोसिन तेल की चोरी की और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से सरकारी धन का दुरुपयोग किया। आरोपियों ने फर्जी चालानों से भुगतान कर यह फर्जीवाड़ा किया। केरोसिन को ट्रांसपोर्ट पोर्टर के जरिए दिखाते हुए भुगतान हुआ, जबकि वास्तविक ट्रांसपोर्ट सिविल वाहन के जरिए हुआ। इस तरह सरकार को 22.07 लाख रुपये का नुकसान हुआ।
सीबीआई ने क्या किया?
आईटीबीपी ने विभागीय जांच के बाद रिपोर्ट सीबीआई को भेजी। गृह मंत्रालय से अनुमति मिलने के बाद सीबीआई ने मामला दर्ज किया। सीबीआई की दून शाखा के एसपी एके राठी ने केस की जांच निरीक्षक बीसी कापड़ी को सौंपी है।
कौन हैं आरोपी?
* महेंद्र प्रताप: तत्कालीन कमांडेंट, 7वीं बटालियन, आईटीबीपी
* दीपक गोगोई: तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट (वेटरनरी), 7वीं बटालियन
* मुकेश चंद मीना: तत्कालीन डिप्टी कमांडेंट (जीडी), 7वीं बटालियन
* मदन सिंह राणा: ठेकेदार
* कुंदन सिंह भंडारी: ठेकेदार
* पूरन सिंह बिष्ट: ठेकेदार
कौन सी धाराओं में दर्ज हुआ मामला?
सीबीआई ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी, 420, 467, 468, 471 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।
यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है?
यह मामला सुरक्षा बलों में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह दिखाता है कि कोई भी अपराध छिपा नहीं रह सकता है और कानून सबके लिए बराबर है।