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मानव वन्यजीव संघर्ष के निवारण के लिए प्रकोष्ठ और अलग से निधि के गठित

मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ संघर्ष के कारणों का विस्तृत अध्ययन करेगा

देहरादून। मानव वन्यजीव संघर्ष लगातार बढ़ रहे हैं। सरकार ने इस संघर्ष के निवारण के लिए प्रकोष्ठ और अलग से निधि के गठन पर सहमति दी। इस निधि में प्रारंभिक रूप से दो करोड़ की राशि रखी जाएगी। इससे वन्यजीवों के साथ संघर्ष में मारे गए व्यक्ति के स्वजन को मुआवजे मिलने में परेशानी नहीं होगी।
मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण प्रकोष्ठ संघर्ष के कारणों का विस्तृत अध्ययन करेगा, ताकि रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा सकें। वन सचिव विजय यादव ने बताया कि प्रदेश के भौगोलिक क्षेत्र के अनुसार ब्लाक स्तर तक ऐसी घटनाओं के आधार पर हाट स्पाट का चिह्नीकरण किया जा सकेगा। वहां संघर्ष रोकने के लिए संसाधनों की उपलब्धता और अच्छे तरीके से की जा सकती है। भालू, मगरमच्छ, गुलदार एवं अन्य वन्यजीवों से हो रहे संघर्ष के निवारण और प्रभावित व्यक्ति के स्वजन को अनुग्रह राशि के यथाशीघ्र भुगतान पर शीघ्र निर्णय लिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इसका नियमित अनुश्रवण करने को भी कहा है। मुआवजे की दरें राज्य वन्यजीव बोर्ड की ओर से पहले से तय हैं। यह राशि बढ़ाने पर मंथन चल रहा है। आपदा प्रबंधन विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद इस संबंध में आगे कदम बढ़ाए जाएंगे। प्रकोष्ठ वन्यजीव प्रमुख वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक को उनके दायित्व निर्वाह में तकनीकी सहयोग भी प्रदान करेगा। उचित विशेषज्ञता के मानव संसाधन की आवश्यकता के लिए विभाग के बाहर से भी सहायता ली जाएगी।
उन्होंने बताया कि मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाएं आकस्मिक होती हैं। ऐसी घटनाओं का कोई समय अथवा स्थान निर्धारित नहीं होता। इस समस्या के समाधान के लिए तत्काल धनराशि की आवश्यकता होती है।
मानव वन्यजीव संघर्ष निवारण निधि की स्थापना का निर्णय इसी कारण किया गया है। इस निधि में दो करोड़ की राशि होगी। बंदरों के बंध्याकरण को चिडिय़ापुर, रानीबाग एवं अल्मोड़ा में इकाइयां स्थापित की गईं, लेकिन कई बार समय से बजट उपलब्ध नहीं होने से चिकित्सक और इकाइयां सात से आठ माह तक यह कार्य नहीं कर पाती हैं। निधि से इस कार्य में भी सहायता मिलेगी।

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