हल्द्वानी से 15 किलोमीटर दूर स्थित चौसला गांव में एक व्यक्ति द्वारा अपनी जमीन की प्लॉटिंग कर उसे 68 लोगों को बेचने का मामला सामने आया है। खास बात यह है कि इन सभी प्लॉटों को एक ही समुदाय के लोगों ने खरीदा और दाखिल-खारिज भी करा लिया। इस मामले को लेकर मेयर गजराज सिंह बिष्ट ने इसे डेमोग्राफी चेंज करने की सोची-समझी साजिश करार दिया है।
मेयर बिष्ट ने निबंधन और राजस्व विभाग के अधिकारियों से सवाल किए, जिसके बाद मामले की जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति ने जमीन बेची है, उसने गांव में सरकारी जमीन पर भी कब्जा कर रखा है।
छोटे प्लॉट खरीदने के पीछे क्या मकसद?
मेयर बिष्ट ने सवाल उठाया कि 300 से 900 वर्ग फुट के छोटे-छोटे प्लॉट खरीदने वाले लोग आखिर वहां कौन सा कारोबार करेंगे, जिससे उनका परिवार पल सके। उन्होंने यह भी पूछा कि इन खरीदारों का पुलिस सत्यापन हुआ है या नहीं। साथ ही, इतने छोटे प्लॉट पर भवन निर्माण के लिए नक्शा पास कैसे होगा और क्या यह कॉलोनी सरकारी नियमों के तहत स्वीकृत है।
एक जैसे शपथ पत्रों से बढ़ा शक
मेयर ने बताया कि जिस व्यक्ति ने अपने समुदाय के लोगों को जमीन बेची, उसने राजस्व अभिलेखों में एक ही तरह का शपथ पत्र संलग्न किया है। इसमें लिखा है कि वह आर्थिक रूप से कमजोर है और पैसों की जरूरत के चलते उसने जमीन प्लॉटों में बेच दी।
सीएम तक पहुंचा मामला
मेयर बिष्ट ने चौसला गांव में हो रहे इस कथित डेमोग्राफिक बदलाव की जानकारी मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी दे दी है। उन्होंने कहा कि कुछ बाहरी लोग उत्तराखंड की जनसंख्या संरचना बदलने की कोशिश कर रहे हैं, जिसे वह किसी भी हाल में सफल नहीं होने देंगे। मेयर ने मुख्यमंत्री से इस मामले में तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
मुख्यमंत्री धामी पहले ही अधिकारियों को राज्य की डेमोग्राफी न बदलने देने के निर्देश दे चुके हैं, फिर भी इतनी संख्या में छोटे-छोटे प्लॉटों की रजिस्ट्री और दाखिल-खारिज होना उनके निर्देशों का उल्लंघन माना जा रहा है। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एसडीएम और तहसीलदार को जांच के निर्देश दिए गए हैं।
