हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2018 से पूर्व दैनिक वेतन, तदर्थ एवं संविदा कर्मियों को दी गई नियमित नियुक्ति को सही ठहराया
नैनीताल। सरकारी विभागों में 10 साल काम कर चुके दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमित होंगे। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 4 दिसंबर 2018 से पूर्व दैनिक वेतन, तदर्थ एवं संविदा कर्मियों को दी गई नियमित नियुक्ति को सही ठहराया है। साथ ही दस साल सेवा दे चुके शेष कर्मचारियों को 2013 की नियमावली के अनुसार नियमित करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कर्मचारी नियमितीकरण के लिए 2013 में बनाई गई नियमावली पर लगी रोक को हटाते हुए सभी चुनौती याचिकाओं को भी निस्तारित कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति रितु बाहरी व न्यायाधीश न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने नैनीताल के सौड़ बगड़ निवासी नरेंद्र सिंह बिष्ट, हल्द्वानी के हिमांशु जोशी एवं अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए। कोर्ट के इस निर्णय से चार हजार से ज्यादा दैनिक वेतन एवं वर्कचार्ज कर्मियों को लाभ का अनुमान है।
कुछ युवाओं ने इस नियमावली को चुनौती दी थी। जिसका आधार दैनिक कर्मचारियों के चयन की प्रकिया की खामी, विभागों में पदों का स्वीकृत न होना एवं अन्य कारण बनाते हुए कोर्ट के समक्ष रखा गया। जिस पर हाईकोर्ट ने चार दिसंबर 2018 को सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों और अन्य सरकारी उपक्रमों में कार्यरत दैनिक वेतन कर्मचारियों के नियमितीकरण पर रोक लगा दी थी। तब से ही नियमितीकरण की प्रक्रिया बंद थी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उत्तराखंड के निगमों, विभागों, परिषदों और अन्य सरकारी उपक्रमों में बिना पारदर्शी चयन प्रक्रिया के ही कर्मचारियों को नियमित किया जा रहा है। लेकिन दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को नियमित करने की प्रक्रिया बंद पड़ी है। इससे उनके हित प्रभावित हो रहे हैं। इसलिए याचिकाकर्ताओं ने 2013 की नियमितीकरण नियमावली पर लगी रोक को हटाने की अपील कोर्ट से की थी। हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद नियमावली पर लगी रोक को हटाते हुए सभी चुनौती याचिकाओं को निस्तारित भी कर दिया।
सरकारी विभागों में 10 साल काम कर चुके दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी नियमित होंगे
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