हल्द्वानी। कार्तिक शुक्ल एकादशी यानी देवउठनी एकादशी के आगमन के साथ ही जिले में शादी-विवाह का सीजन शुरू हो गया है। इस साल देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन से शादी-विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रमों की शुरुआत होगी।
चातुर्मास के बाद शुरू हुआ शादी-विवाह का सीजन
चातुर्मास के चार महीने तक शादी-विवाह जैसे मांगलिक कार्यक्रमों पर रोक रहती है। मान्यता है कि इस दौरान भगवान विष्णु योग निद्रा में रहते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही शादी-विवाह का सीजन शुरू होता है। इस बार देवउठनी एकादशी के अबूझ मुहूर्त के कारण जिले में बड़ी संख्या में विवाह आयोजन होने की संभावना है।
सामूहिक विवाह समारोह
जिले के विभिन्न समाजों में सामूहिक विवाह समारोह का आयोजन किया जा रहा है। माली सैनी समाज और श्री विश्वकर्मा सुथार समाज के सामूहिक विवाह समारोह में दर्जनों जोड़े परिणय सूत्र में बंधेंगे।
शहर में तैयारियां जोरों पर
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित भवनों की बुकिंग पहले से ही हो चुकी है। बैंड, डीजे, लाइट डेकारेशन, घोड़ी, रथ, हलवाई इत्यादि की भी बुकिंग हो चुकी है। बाजारों में शादी-विवाह के लिए आवश्यक सामानों की खरीदारी का क्रम चल रहा है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्य पंडित राजेन्द्र किराडू के अनुसार, कार्तिक शुक्ला एकादशी के अबूझ मुहूर्त से शादी-विवाह के आयोजन प्रारंभ होंगे। नवंबर में 12, 17, 22, 24 और 27 नवंबर, दिसंबर में 1, 9 और 10 दिसंबर, जनवरी 2025 में 16, 18, 21, 22 और 23 जनवरी, फरवरी में 2, 6, 7, 8, 13, 14, 18, 20, 21 व 25 तारीख, मार्च में 1, 5 और 6 मार्च शादी-विवाह के लिए शुभ मुहूर्त हैं। 2 फरवरी को बसंत पंचमी और 1 मार्च को फुलरिया बीज के अबूझ मुहूर्त हैं।
तुलसी-सालगराम का विवाह
देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी-सालगराम का विवाह भी किया जाता है। इस दिन घरों, मंदिरों और सार्वजनिक स्थलों पर तुलसी-सालगराम के विवाह कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
देवउठनी एकादशी: अबूझ मुहूर्त में बंधेंगे परिणय सूत्र
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