देहरादून: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में देहरादून में करीब 101 बीघा भूमि को अस्थायी रूप से अटैच कर दिया है। यह कार्रवाई पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत और उनके करीबियों के खिलाफ लंबे समय से चल रही जांच का नतीजा है।
जांच में सामने आया है कि हरक सिंह रावत के करीबी सहयोगी बीरेंद्र सिंह कंडारी ने कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करते हुए, स्वर्गीय सुशीला रानी के नाम पर दर्ज जमीन को बेहद कम कीमत पर दीप्ति रावत और लक्ष्मी राणा को बेच दिया था। यह जमीन राजस्व विभाग के निर्धारित सर्किल रेट से काफी कम कीमत पर बेची गई थी।
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि दीप्ति रावत इस जमीन के एक हिस्से पर बना दून इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की चेयरपर्सन हैं। यह संस्थान पूर्णा देवी मेमोरियल ट्रस्ट के तहत संचालित होता है, जिस पर हरक सिंह रावत के परिवार और करीबियों का नियंत्रण है।
ईडी का कहना है कि सभी आरोपी मिलकर एक साजिश के तहत इस जमीन को अपने नाम पर दर्ज कराना चाहते थे। एजेंसी ने इस मामले में कई दस्तावेजों और बैंक खातों की जांच की है। यह कार्रवाई हरक सिंह रावत और उनके करीबियों के लिए एक बड़ा झटका है। ईडी की इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हड़कंप मच गया है।