देहरादून: देहरादून में पुलिस और एएनटीएफ की संयुक्त टीम ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए एक अवैध दवा कारखाने का भंडाफोड़ किया है। यह कारखाना फूड लाइसेंस की आड़ में चल रहा था और यहां प्रतिबंधित नशीली दवाएं बनाई जा रही थीं।
पुलिस को सूचना मिली थी कि ग्रीन हर्बल फैक्टरी में प्रतिबंधित दवाओं का उत्पादन किया जा रहा है। इस सूचना के आधार पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए फैक्टरी पर छापा मारा। छापेमारी के दौरान फैक्टरी से बड़ी मात्रा में प्रतिबंधित दवाएं बरामद हुईं, जिनमें ट्रामाडोल, ब्यूप्रेनॉरफिन और कोडीन फॉस्फेट शामिल हैं।
पुलिस ने फैक्टरी मालिक संजय कुमार, शिव कुमार और रहमान को गिरफ्तार कर लिया है। वहीं, दो अन्य आरोपी कन्हैयालाल और ऋषभ जैन फरार हैं। पुलिस ने सभी के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है।
कैसे हुआ खुलासा?
एसएसपी अजय सिंह को सूचना मिली थी कि ग्रीन हर्बल फैक्टरी में प्रतिबंधित दवाएं बनाई जा रही हैं। उन्होंने इस मामले की जांच के लिए सहसपुर पुलिस और एएनटीएफ की संयुक्त टीम गठित की। टीम ने बृहस्पतिवार को फैक्टरी पर छापा मारा और देर रात तक कार्रवाई जारी रही।
क्या मिला फैक्टरी से?
फैक्टरी से 1921 टैबलेट, 592 बोतल सिरप और 342 खाली रेपर बरामद हुए। इन दवाओं का उपयोग आमतौर पर तेज दर्द, कैंसर और खांसी में किया जाता है, लेकिन इनका दुरुपयोग नशे के लिए भी किया जाता है।
क्या कहते हैं अधिकारी?
ड्रग कंट्रोलर ताजबर जग्गी ने बताया कि बरामद दवाएं साइको ट्रैपिक (मन प्रभावी) हैं। इनका अधिक सेवन व्यक्ति को नशे की हालत में ले जाता है। उन्होंने कहा कि नशे के विकल्प के रूप में ऐसी दवाओं का चलन बढ़ रहा है।
क्या है मामला?
यह मामला बेहद गंभीर है। यह दिखाता है कि कुछ लोग फूड लाइसेंस की आड़ में अवैध गतिविधियां कर रहे हैं। इन लोगों ने न केवल कानून का उल्लंघन किया है, बल्कि लोगों की जान के साथ भी खिलवाड़ किया है।
क्या आगे की कार्रवाई?
पुलिस इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। पुलिस उन लोगों की तलाश कर रही है जो इस गिरोह से जुड़े हुए हैं। पुलिस यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि ये दवाएं कहां बेची जाती थीं।
क्या है संदेश?
यह मामला हमें सतर्क रहने की सीख देता है। हमें उन लोगों से सावधान रहना चाहिए जो नकली दवाएं बेचते हैं। हमें हमेशा लाइसेंस प्राप्त दवाओं को ही खरीदना चाहिए।