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उत्तराखण्ड

दीपों का त्योहार: अंधकार को दूर करने का संदेशदीपावली: प्रकाश का पर्व

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दीपावली का पर्व भारत में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व का मुख्य उद्देश्य अंधकार को दूर कर प्रकाश का प्रतीक बनना है। दीपों की जगमगाहट से न केवल घर बल्कि मन भी प्रकाशित होता है।
दीपक: प्रार्थना का माध्यम
भारतीय संस्कृति में दीपक को मात्र रोशनी का साधन नहीं, बल्कि ईश्वर तक पहुंचने का माध्यम माना जाता है। दीपक को अग्नि देवता का प्रतीक माना जाता है जो भक्तों की भावनाओं को ईश्वर तक पहुंचाता है। ऋग्वेद में भी दीपक के महत्व का उल्लेख मिलता है।
मन का अंधकार दूर करने में दीपक का महत्व
दीपक न केवल भौतिक अंधकार को दूर करता है बल्कि मन के अंधकार को भी दूर करने में सहायक होता है। यह तीनों लोकों – भूमि, अंतरिक्ष और पाताल; प्रातः, मध्याह्न और सायं; बाल्य, युवावस्था और वृद्धावस्था – से जुड़े अंधकार को दूर करने में सहायक है।
घर में हर कोने में उजियारा
धार्मिक मान्यता के अनुसार, घर का कोई भी कोना अंधकारमय नहीं रहना चाहिए। दीप जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और लक्ष्मी माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
अमावस्या और दीपावली का महत्व
अमावस्या के दिन सूर्य और चंद्रमा का संतुलन बिगड़ जाता है। इसीलिए इस दिन दीप जलाकर वातावरण का संतुलन बनाए रखने की परंपरा है। कार्तिक मास को दीप प्रज्ज्वलन का महीना माना गया है।
दीपक का उचित स्थान और आसन
दीपक को पूजा स्थल पर रखने से पहले उसका आसन ठीक प्रकार से बनाना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, चावल, गोबर या धातु के आसन पर दीपक रखना उचित माना गया है।

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