लखनऊ। मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत विवाहित महिलाओं की शादी दोबारा उन्हीं के पतियों से करा दी गई। शादी कराने के लिए महिलाओं से करीब 10-10 हजार रुपये तक वसूले गए हैं। बीते माह सामूहिक विवाह योजना के तहत कराई गई महिलाओं की शादी में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है, जोकि शादी में मिली अनुदान राशि हड़पने के लिए किया गया। विभागीगय अधिकारी जांच कराने व मामला सही पाए जाने पर धनराशि की वसूली करने की बात कह रहे हैं।
मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना के तहत 11 जुलाई को बल्दीराय विकास खंड में 81 जोड़ों की और 12 जुलाई को कुड़वार ब्लॉक में 67 जोड़ों की शादी कराई गई थी। इन दोनों आयोजनों में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा का मामला प्रकाश में आया है। बल्दीराय के महुली की सरिता पत्नी राजू की शादी करीब आठ साल पहले हुई थी। इनके दो बेटे हैं। बड़े बेटे की उम्र करीब पांच साल व छोटे की करीब सात माह है।
बताया कि 12 जुलाई को कुड़वार में उनकी शादी उनके पति से ही कराई गई। महुली निवासी भगेलू की पुत्री शांति की शादी पांच साल पहले उमरा गांव में हुई थी। शांति ने बताया कि उन्हें एक साल का बेटा है। 12 जुलाई को कुड़वार में उनकी शादी उन्हीं के पति से करा दी गई। सरिता व शांति ननद भौजाई हैं। भखरी निवासी दुखछोर की बेटी रीतू की शादी गौरापरानी गांव में हुई है। 11 जुलाई को उनकी शादी फिर उन्हीं के पति से बल्दीराय ब्लॉक में करा दी गई।
यही नहीं, महुली गांव निवासी रामावती ने बताया कि उनकी पुत्री उमा की शादी दो साल पहले बल्दीराय में कराई थी। 12 जुलाई को फिर उनकी बेटी की शादी कुड़वार ब्लॉक में करा दी गई। उनकी पुत्री को अभी तक पैसा नहीं मिला है। इसी तरह 42 वर्षीया गुड़िया पुत्री श्रीराम निवासी महुली, इसी गांव की 38 वर्षीया क्रांति पुत्री श्रीप्रसाद, 32 वर्षीया मंजू पुत्री शोभनाथ की शादी भी कराई है।
शादी कराने वाली महिलाओं ने दिए अपने ऑडियो व वीडियो बयान में स्वीकारा है कि शादी कराकर लाभांवित करने के लिए उनसे 10-10 हजार रुपये लिए गए हैं। धनराशि लेने वाली कंचन नाम की महिला ने ऊपर तक के लोगों को पैसा देने की वजह बताते हुए वसूली की है। फर्जीवाड़े की स्थिति यह है कि 11 जुलाई को हुए आयोजन में शादी कराने गया एक जोड़े में महिला के साथ एक बच्चा उसकी गोद में खड़ा दिख रहा है। यह कुछ उदाहरण है। सूत्रों के मुताबिक योजना के तहत हुए आयोजन में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा किया गया है। धीरे-धीरे मामलों से पर्दा हटने लगा है। प्रकरण सामने आने के बाद विभागीय अधिकारी बचाव की मुद्रा में आ गए हैं।
जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित सिंह ने कहा कि शादी का आवेदन ऑनलाइन होता है और उसकी जांच खंड विकास अधिकारियों की ओर से पंचायत सचिवों से कराई जाती है। सत्यापित रिपोर्ट बीडीओ की मिलने के बाद ही शादी कराई जाती है। जो प्रकरण सामने आ रहे हैं, उनकी जांच करवाई जाएगी। जांच में मामला सही पाए जाने पर संबंधित से धनराशि की वसूली की जाएगी।
फर्जीवाड़ा : मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का लाभ लेने के लिए विवाहित महिलाओं की दोबारा उन्हीं के पतियों से करा दी शादी
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