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हरिद्वार

भगवान को भूल जाना ही सबसे विकट विपत्ति: आचार्य करुणेश मिश्र

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हरिद्वार। अध्यात्म चेतना संघ द्वारा आयोजित किये जा रहे विराट श्रीमद्भगवद्गीता जयन्ती महोत्सव-2024 के अन्तर्गत आज श्रीमद्भागवत सप्ताह के द्वितीय दिवस पर कथा व्यास तथा संस्था के संस्थापक आचार्य करुणेश मिश्र ने महर्षि वेदव्यास जी द्वारा श्रीमद्भागवत पुराण की रचना तथा 18 हजार श्लोकों वाले इस महापुराण के सृष्टि के कल्याण तथा अनुवर्ती विस्तार हेतु श्री शुकदेव जी को सौंपने के आख्यान का श्रवण कराया।


      कथा का विस्तार करते हुए आचार्य करुणेश मिश्र ने अश्वत्थामा द्वारा द्रौपदी के पाँचों पुत्रों के वध का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि, “ब्राह्मण को कभी मारना नहीं चाहिये और आतताई को कभी छोड़ना भी नहीं चाहिये। अश्वत्थामा ब्राह्मण व आतताई दोनों ही था। इसलिये, भगवान कृष्ण की सलाह पर अर्जुन ने अश्वत्थामा को शिखा सूत्र खींच कर मस्तक पर जड़ी मणि को छीन कर छोड़ दिया।”
कथा व्यास ने आगे कहा कि, “जीवन में कभी भी कोई विपत्ति का क्षण आये, तो किसी एक भी व्यक्ति को सुनाने की जगह अपने ईष्ट भगवान को ही सुनाना चाहिये
निश्चितरूप से वह आपकी विपत्ति का नाश करेंगे। यही शिक्षा हमें महाभारत के द्रौपदी-दुश्शासन के दृष्टांत से प्राप्त होती है। देर तो हमें भगवान को याद करने व उनके शरणागत होने में होती है। भगवान तो द्रौपदी और गीध आजामिल जैसे भक्तों की एक पुकार पर दौड़ कर आते हैं।‌ भगवान को भूल जाना सबसे विकट विपत्ति है और भगवान का स्मरण निरन्तर सदा बना रहना सबसे बड़ी सम्पत्ति उन्होंने कहा कि भक्ति में भी भगवान से कुछ मांगना नहीं चाहिये।”
     ‌‌‌ आज कथा के दौरान मुख्य यजमान श्री गणेश शर्मा ‘बिट्टू’ तथा श्रीमती निकिता शर्मा और सभी यजमान परिवारों के साथ-साथ बृजेश शर्मा, महेश चन्द्र काला, अरुण कुमार पाठक, विशाल शर्मा, अर्चना तिवारी, अशोक सरदार, रविन्द्र सिंघल, संगीत गुप्ता, आभा गुपहै-ा, विकास शर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।
                        

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