अल्मोड़ा। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने सरकार से प्रदेश में अतिक्रमण पर प्रभावशाली अंकुश लगाने के नाम पर 10 साल तक की कठोर सजा और जुर्माने का प्रावधान करने वाले अध्यादेश पर पुनः विचार करने की मांग की है। उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कहा कि बिना सोचे समझे लाया जा रहा यह अध्यादेश प्रदेश में भारी अशांति का कारण बनेगा।
उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में मंत्रीमंडल की बैठक में “उत्तराखंड में भूमि अतिक्रमण निषेध अध्यादेश 2023” लाने का फैसला कर जमीनों, परिसंपतियों पर अतिक्रमण करने वालों पर न्यूनतम सात वर्ष से दस वर्ष तक की सजा व बाजार मूल्य के बराबर जुर्माने का प्रावधान प्रस्तावित है यही सजा अपराध कथित रूप से उकसाने वालों पर भी लगाया जाएगा।
परिवर्तन पार्टी ने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों, जमीनों पर प्रभावशाली लोगों, माफियाओं को सरकार व प्रशासन का सहयोग मिलता रहा है, जिस कारण ऐसे तत्वों पर कार्यवाही नहीं होती, जबकि इस अध्यादेश की मार दलितों, भूमिहीनों, जनजातियों नजूल वन गावों, मलिन बस्तियों में बसे लोगों पर पड़ेगी। परिवर्तन पार्टी ने कहा कि सरकार को इस मामले में तत्काल स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए।
उपपा अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा की त्रिवेंद्र सरकार ने 2018 में कृषि भूमि के असीमित खरीद के कानून को पास कर बाहरी पूंजीपतियों के जमीन कब्जाने का रास्ता भी तैयार किया और धामी सरकार ने सरकार और प्रशासन द्वारा दी गई अनुमतियों का दुरुपयोग करने वाले लोगों की परिसंपति जब्त करने का प्रावधान समाप्त कर उनके अतिक्रमण को कानूनी रूप दे दिया है।