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अल्मोड़ा/बागेश्वर/चंपावत/पिथौरागढ़

सरकार का राष्ट्रवाद व्हाट्सएप व फेसबुक तक ही सीमित: डालाकोटी

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बाबा बागनाथ की पूजा-अर्चना के बाद, नुमाइश खेत में गुरिल्लों ने की सभा

बागेश्वर। गुरिल्लों की जनजागरण रथयात्रा आज बागेश्वर पहुँची। बागनाथ मंदिर में पूजा अर्चना के बाद नुमाइश मैदान में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मा नन्द डालाकोटी ने कहा कि सरकार कितना ही राष्ट्रवाद की बात करें । व्हाट्सएप व फेसबुक में राष्ट्रवाद पर कितनी ही चर्चा हो पर जीवन में गुरिल्लों ने राष्ट्रवाद को जिया है। भारत में अनेक संगठन राष्ट्रवादी होने का दावा करते हैं पर गुरिल्लों को तो राष्ट्रवाद तथा राष्ट्रभक्ति के प्रचार-प्रसार के लिए सरकार ने खुद प्रशिक्षित किया और सन् 1963 से 2000 तक सीमावर्ती क्षेत्रों में सेवा सुरक्षा बन्धुत्व के नारे को साकार करने की जिम्मेदारी दी। गुरिल्लों ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया और अलगाव -उग्रवाद से त्रस्त पूर्वोत्तर राज्यों को देश की मुख्यधारा में ला खड़ा किया। लेकिन 2000 में सीमा सुरक्षा की इस मजबूत अचूक सुरक्षा व्यवस्था को सरकार द्वारा समाप्त कर इन देशभक्तों को दूध में मक्खी की तरह दूर फैंक दिया। इस व्यवस्था के खत्म होते ही बाहरी देशों से घुसपैठ शुरू हो गयी। अब मणिपुर जैसे छोटे राज्य भी अशांत हो गये हैं। जम्मू-कश्मीर, पंजाब की अपनी समस्याएं हैं ही सीमावर्ती क्षेत्रों में बाह्य व आंतरिक सुरक्षा में गुरिल्लों का उपयोग किया जा सकता है। गुरिल्लों से कहीं कम प्रशिक्षित लोगों से उत्तराखंड सरकार होमगार्ड पी आर डी के माध्यम कई विभागों में कार्य ले रही है किन्तु गुरिल्लों के लिए केन्द्र सरकार के आदेश और मुख्यसचिव से गुरिल्लों के समझौते के बावजूद गुरिल्लों को सेवा का अवसर नहीं दिया जा रहा। रथ यात्रा में साथ चल रहे अल्मोड़ा के जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कहा कि जब जब गुरिल्लों ने एकजुट होकर सरकार को चुनौती दी तब तब सरकार ने गुरिल्लों से वार्ता की उनके लिए कुछ घोषणाएं व शासनादेश जारी किये किंतु गुरिल्लों के आंदोलन की शिथिलता के चलते सरकार भी शिथिल हो गयी है इसलिए आंदोलन तेज करना जरूरी हो गया है गुरिल्लों को जाग्रत करने के लिए ही जनजागरण यात्रा चलाई जा रही है सभा को बिशनदत भट्ट ने भी संबोधित किया,सभा का संचालन दान सिंह बघरी ने किया।
सभा में दिनेश लोहनी, मोहन सिंह, फकीर सिंह, हरीश सिंह, आनन्द सिंह शंकर सिंह केशर मेहता,उर्बादत, उम्मेद सिंह नेगी, डिकर सिंह, कमला कांडपाल, गोदावरी शाह, हीरादेबी, मोहनी, बसंती, रजनी विष्ट, संगीता सहित दर्जनों गुरिल्ले उपस्थित रहे।

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संपादक: गुलाब सिंह
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