सरकार की राष्ट्रवाद पर चर्चा, बगैर गुरिल्लों के अधूरी
द्वाराहाट(अल्मोड़ा)। गुरिल्ले नौकरी, पेंशन एवं अन्य सुविधाओं की मांग को लेकर लगातार 16-17 वर्षों से अल्मोड़ा जिला मुख्यालय में धरने पर बैठे हैं। पांच हजार दिन पूरे होने पर अल्मोड़ा से निकली जनजागरण रथयात्रा आज द्वाराहाट पहुंची। यहां मुख्य चौराहे पर हुई सभा को संबोधित करते हुए संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष ब्रह्मा नंद डालाकोटी ने कहा कि अनेक संगठन राष्ट्रवाद की भले ही चर्चा करें पर गुरिल्लों की चर्चा के बिना यह अधूरी है। गुरिल्ले वो लोग हैं जिन्हें खुद सरकार ने राष्ट्रवाद का प्रशिक्षण देकर सीमावर्ती क्षेत्रों में राष्ट्रभक्ति की भावना जाग्रत करने के लिए तैयार किया राष्ट्रभक्ति की भावना से ओत-प्रोत गुरिल्लों ने पूर्वोत्तर से अलगाव -उग्रवाद समाप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। सीमा सुरक्षा की इस अचूक सुरक्षा व्यवस्था के सन् 2000 में समाप्त होने के बाद सीमावर्ती क्षेत्रों में पुनः उग्रवादी घटनाएं होने लगी हैं। एक दो दिन पूर्व ही समाचार पत्रों में नेपाल सीमा से भी घुसपैठ की संभावना के समाचार छपे हैं। इसलिए गुरिल्लों का सीमाओं को सुरक्षित रखने मे की आज भी उपयोग संभव है। जिलाध्यक्ष शिवराज बनौला ने कहा कि आंदोलन के चलते राज्य सरकार ने हमसे अनेक समझौते किये, जिनमें गुरिल्लों का होमगार्ड और पी आर डी में समायोजन भी एक है। अजीब बिडंबना है कि गुरिल्लों से कम प्रशिक्षित लोगों को इन सेवाओं में रखा जा रहा है। उन्होंने केन्द्र व राज्य सरकार से अपनी घोषणाओं व समझौतों को लागू करने की मांग की।
सभा को चन्द्र प्रकाश उपाध्याय व कैलाश शाह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भुवन चन्द्र चौधरी, गोविन्द बल्लभ हरबोला, देवी दत्त बुधानी, ध्यान सिंह, प्रकाश चन्द्र, मदन सिंह, रेखा भट्ट, भवानी देवी, आनंदी साह, पूनम गोस्वामी, गीता देवी, भागुली देवी सहित दर्जनों गुरिल्ले उपस्थित रहे।