हल्द्वानी: गौला पुल की क्षतिग्रस्त सड़क के कारण बने जाम ने एक बार फिर हल्द्वानी में प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी है। शुक्रवार की देर शाम गौलापार उदयपुर रैक्वाल दौलतपुर निवासी गिरीश चंद्र शर्मा (33) अज्ञात कारणों से जहर खा गए थे। उन्हें इलाज के लिए हल्द्वानी ले जाया जा रहा था, लेकिन रास्ते में लगे जाम के कारण वह समय से अस्पताल नहीं पहुंच पाए और रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
गिरीश के भाई मनोज ने बताया कि उन्होंने अपने भाई को इलाज के लिए अपनी कार से हल्द्वानी ले जाया था। रास्ते में उन्हें पहले अस्थायी सड़क पर जाम मिला। इसके बाद जब वे चौरगलिया रोड से बनभूलपुरा के रास्ते बेस अस्पताल जाने लगे तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। इसके बाद उन्हें शनि बाजार के रास्ते होकर जाना पड़ा, जहां रेलवे फाटक बंद होने के कारण उन्हें ढाई घंटे तक जाम में फंसना पड़ा। इस तरह ढाई घंटे की देरी के कारण गिरीश को समय पर इलाज नहीं मिल पाया और उनकी जान चली गई।
मनोज का मानना है कि अगर समय से उनके भाई को इलाज मिल जाता तो शायद उनकी जान बच जाती। उन्होंने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि गौला पुल की सड़क टूटने के बाद से यहां अक्सर जाम लगते रहते हैं और प्रशासन इस समस्या के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है।
प्रशासन की भूमिका पर सवाल
गिरीश की मौत के बाद लोगों में प्रशासन के खिलाफ काफी रोष है। लोग कह रहे हैं कि प्रशासन को इस तरह की स्थिति से निपटने के लिए पहले से ही तैयार रहना चाहिए था। जाम की समस्या को हल करने के लिए प्रशासन को वैकल्पिक मार्ग बनाने चाहिए थे।
क्या हैं सवाल?
* क्या प्रशासन ने गौला पुल की सड़क टूटने के बाद से यातायात व्यवस्था सुचारू रखने के लिए कोई ठोस कदम उठाए?
* क्या प्रशासन ने जाम की स्थिति से निपटने के लिए कोई आपातकालीन योजना बनाई थी?
* क्या प्रशासन इस घटना के लिए जिम्मेदार है?
हल्द्वानी: जाम में फंसने के कारण युवक की मौत, प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल
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