मित्रता, सेवा और सुरक्षा’ का सही अर्थ को सार्थक किया
हरिद्वार। आमतौर पर पुलिस का नाम सुनने मात्र से ही कोई भी साधारण व्यक्ति डर भय से काँपने लग जाता है, लेकिन, इसी पुलिस का जब कोई ऐसा चेहरा सामने आता है, जो उसे रक्षक से भी चार क़दम आगे बढ़कर एक संरक्षक के स्वरूप में दर्शाता है, तो बात कुछ और ही होती है। ‘मित्रता, सेवा और सुरक्षा’ का सही अर्थ भी समझ में आता है।
अभी कल की ही तो बात है हरिद्वार के कवि, गीतकार तथा ‘चेतना पथ’ के संपादक श्री अरुण कुमार पाठक के साले एवं सलहैज वीरेन्द्र सारस्वत और श्रीमती पूनम श्रीकेदारनाथ जी की यात्रा पर जाने के रास्ते जब हरिद्वार आये तो यात्रा पंजीकरण कराने के इरादे से स्कूटी से हरकी पैड़ी महिला घाट की ओर आने वाली सड़क पर हनुमान मंदिर के सामने उनकी स्कूटी बरसात के कारण सड़क पर जमा हुई मिट्टी और रेत के कारण फिसल गयी और वीरेन्द्र के बायें पाँव और घुटने में इतनी चोट आ गयी की आपरेशन की नौबत है। उधर हरिद्वार की मित्र पुलिस के अन्तर्गत वहाँ तैनात होमगार्ड के जवानों- मोहित कुमार (5574), नवीन (2410) तथा महिला पुलिसकर्मी पूनम (2410) ने न केवल असहनीय वेदना झेल रहे वीरेंद्र को न केवल आनन-फानन में फौरी मदद पहुँचाई, बल्कि स्वयं अपने हाथों से उनके पावों में मालिश की, चिकित्सालय ले जाकर चिकित्सक को दिखलाया, पाँव में लपेटने को गरम व दर्द निवारक पट्टियों की व्यवस्था की, इंजैकशन व दवाएँ उपलब्ध कराईं। यही नहीं बरसते पानी में उन्हें उक्त दोनों जवान श्री अरुण पाठक के 12 किलोमीटर दूर स्थित निवास तक भी पहुँचा कर आये, जहाँ वीरेन्द्र रुके हुए थे। इतना ही नहीं वापस जाने के बाद उन्होंने फोन करके उनका हालचाल भी पूछा।
इस घटना में हरिद्वार पुलिस के इस देवदूत स्वरूप की श्री अरुण पाठक व उनके समस्त परिजनों की भूरि-भूरि प्रशंसा की है तथा सम्बन्धित सभी पुलिस कर्मियों के उज्जवल भविष्य की कामना है। उनका कहना है, कि ऐसे सभी जनप्रिय पुलिस कर्मियों के ऐसे अच्छे कार्यो की प्रविष्टि उनकी सेवा पंजिकाओं में दर्ज की जानी चाहिये।
“जब रक्षक से संरक्षक बनी हरिद्वार पुलिस”
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