वलसाड: गुजरात के आदिवासी बहुल वलसाड जिले में नाबालिग लड़कियों के मां बनने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल ही में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 9 महीनों में 12 से 17 साल की उम्र की 907 लड़कियां मां बन चुकी हैं। यह आंकड़ा बेहद चिंताजनक है और यह दर्शाता है कि इस क्षेत्र में बाल विवाह और नाबालिग गर्भधारण की समस्या कितनी गंभीर है।
क्यों बढ़ रहे हैं ये मामले?
* आदिवासी परंपराएं: इस क्षेत्र में कुछ आदिवासी समुदायों में कम उम्र में विवाह और गर्भधारण को सामान्य माना जाता है।
* जागरूकता की कमी: स्वास्थ्य, परिवार नियोजन और बाल विवाह के खतरों के बारे में जागरूकता की कमी भी एक बड़ा कारण है।
* सामाजिक दबाव: समाज का दबाव भी लड़कियों को कम उम्र में शादी करने के लिए मजबूर करता है।
* गरीबी और अशिक्षा: गरीबी और अशिक्षा भी इस समस्या को बढ़ावा देती हैं।
कम उम्र में मां बनने के नुकसान
कम उम्र में मां बनने से लड़कियों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।
* स्वास्थ्य समस्याएं: कम उम्र में गर्भावस्था से लड़कियों को एनीमिया, प्रसव के दौरान जटिलताएं और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
* शिक्षा में बाधा: गर्भावस्था और प्रसव के कारण लड़कियों की शिक्षा बाधित होती है।
* सामाजिक बहिष्कार: समाज में इन लड़कियों को अक्सर बहिष्कृत किया जाता है।
* आर्थिक बोझ: परिवार पर आर्थिक बोझ बढ़ जाता है।
सरकार और समाज का क्या रोल है?
* जागरूकता अभियान: सरकार और गैर सरकारी संगठनों को मिलकर जागरूकता अभियान चलाने चाहिए।
* कानून का सख्ती से पालन: बाल विवाह अधिनियम का सख्ती से पालन किया जाना चाहिए।
* स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार: आदिवासी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जाना चाहिए।
* शिक्षा पर जोर: लड़कियों की शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
* समाज में बदलाव: समाज में जागरूकता पैदा करके रूढ़िवादी सोच को बदला जाना चाहिए।