प्राचीन सिद्धपीठ श्री नौ देवी काली माता मंदिर लालबाग में नवरात्र में उमड़ रही श्रद्धालुओं की भीड़
मुरादाबाद। लालबाग क्षेत्र में राम गंगा नदी के किनारे स्थित प्राचीन सिद्धपीठ श्री नो देवी काली माता जी का मंदिर अपनी विशेषताओं ओर मान्यताओं के लिए पूरे देश और प्रदेश में प्रसिद्ध है।
कहा जाता है कि लगभग 400 वर्ष पुराने इस प्राचीन मंदिर में देवी माता की मूर्ति स्वयंभू रूप से जमीन के अंदर से प्रकट हुई थी।
देवी माता की मूर्ति में सभी नो देवियों का स्वरूप विराजमान हैं। जिस कारण यह मंदिर अपने आप मे विशेष महत्व रखता है। पुराने समय से ही नागा साधुओं की तपोस्थली रहा यह सिद्धपीठ अपने चमत्कारों के लिए जाना जाता है। यहाँ देवी माता के मंदिर में प्रज्ज्वलित अखंड ज्योति पिछले 70 वर्षों से निरंतर प्रज्ज्वलित हो रही है। मान्यता है कि इस सिद्धपीठ में नियमित रूप से दर्शन करने और 41 दिन तक दीपक जलाने से व्यक्ति की प्रत्येक इच्छा की पूर्ति हो जाती है। यह सिद्धपीठ ब्रह्मलीन श्री महन्त ओंकारेश्वर गिरी जी महाराज, श्री सोमवार गिरी जी महाराज, श्री कृष्णानन्द गिरी जी महाराज, श्री दत्त गिरी जी महाराज, श्री वेदांत गिरी जी महाराज सहित कई प्रसिद्ध ऋषि मुनियों की तपोस्थली भी रहा। जिन्होंने यहां देवी माता की आराधना कर स्थान को जाग्रत किया है। यह मंदिर की विशेषता ओर मान्यता है कि लालबाग क्षेत्र में जितने भी मंदिर हैं उन सबमें सबसे पहले आरती सिद्धपीठ में ही शुरू होती है, उसके बाद ही सभी मंदिरों में आरती की जाती है। मंदिर नागा साधुओं की संस्था श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की 13 मढ़ी से सम्बंध है। जिसका प्रबंधन बालयोगी महन्त श्री राम गिरी जी महाराज देख रहे हैं। महन्त श्री राम गिरी जी महाराज के कुशल प्रबंधन में मंदिर में कई सारे विकास कार्य चलाये जा रहे हैं। प्रत्येक मंगलवार को धार्मिक पाठशाला का आयोजन भी मन्दिर परिसर में किया जाता है। जहां क्षेत्र के बच्चों को सनातन संस्कृति और धर्म की शिक्षा और जानकारी प्रदान की जाती है।
प्राचीन सिद्धपीठ श्री नो देवी काली माता जी का मंदिर लालबाग मुरादाबाद व आस पास के क्षेत्रों का पहला मंदिर है जहाँ महन्त श्री राम गिरी जी के द्वारा सनातन संस्कृति का ड्रेस कोड लागू किया गया है।