शाश्वतम आश्रम में श्री राम कथा के तीसरे दिन किया गया शिव विवाह का मंचन
हरिद्वार। अंतर्राष्ट्रीय कथावाचक एवं जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि राम भक्त हनुमान कि अपने स्वामी के प्रति कृतज्ञता और समर्पण से सीख लेते हुए हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए। व्यक्ति यदि समर्पण भाव से कार्य करता है तो उसका जीवन स्वयं ही सरल हो जाता है। भारतमाता पुरम स्थित शाश्वतम आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम की लीला अपरंपार है। और वह प्रत्येक भारतवासी के हृदय में विराजमान है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जिन्होंने शबरी के झूठे बेर खाकर समाज को समरसता का संदेश दिया। वह प्रभु जन-जन के आराध्य हैं। स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि रामराज्य की कल्पना के साथ भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है। प्रभु श्रीराम ने एक आदर्श पति, एक आज्ञाकारी पुत्र और प्रेम एवं समर्पण की भावना से परिपूर्ण भाई के रूप में अपने जीवन के माध्यम से समाज को एकता का संदेश दिया। हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने परिवार के प्रति समर्पण की भावना को रखना चाहिए और प्रत्येक क्षण अपने धर्म के संरक्षण संवर्धन और राष्ट्र की उन्नति के लिए अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए। वास्तव में संसार के सभी जीवो का मंगल राम कथा के श्रवण से हो जाता है। पूरा वातावरण ही नहीं बल्कि व्यक्ति के अंतःकरण की भी शुद्धि भगवान राम की कथा से हो जाती है। वास्तव में इस कथा से हमें साहस और बुद्धि से प्रत्येक कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा मिलती है। और विपरीत परिस्थितियों में भी धीरज बनाए रखना कथा के माध्यम से हम सीखते हैं। कथा के दौरान शिव विवाह का भी मंचन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम संयोजक डॉ जितेन्द्र सिंह राष्ट्रीय संयोजक शाश्वतम् फाउंडेशन, जगपाल सिंह लखनऊ गंगा समग्र, आचार्य डॉ चंद्रभूषण कथावाचक, बेगराज सिंह एडवोकेट, अनिल गुप्ता जिला व्यवस्था प्रमुख, सुरेश रामवन एवं राकेश मारीशस,अमित सैनी संस्थापक एस के सैनी आस्था फाउंडेशन, सुदेश सैनी, विश्वास सक्सेना, नवनीत कंसल, शिवकुमार मौर्या, डॉ जे पी मल, निरंजन अग्रवाल,मोहन सिंह, संजीव सिंह,राज आनंद सिंह, डॉ एस के कुलश्रेष्ठ, सतीश कौशिक, अमित निरंजन, रमेश उपाध्याय प्रमुख रूप से उपस्थित रहें।