चंद्रयान-3 की सफलता के बाद सूरज से जुड़े तथ्यों को जानने और समझने के लिए अभियान को देगा अंजाम
बेंगलुरु। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत सूर्य के रहस्यों को समझने के लिए दो सितंबर को आदित्य एल-1 अभियान भेजेगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने सोमवार को बताया कि श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र से शनिवार सुबह पीएसएलवी-सी57 रॉकेट की मदद से छोड़ा जाएगा।
भारत पहली बार सूरज से जुड़े तथ्यों को जानने और समझने के लिए इस तरह के अभियान को अंजाम देगा। इसके तहत सात पेलोड होंगे जो विभिन्न जानकारियां जुटाएंगे। इनमें से चार पेलोड सीधे सूर्य पर नजर रखेंगे। तीन पेलोड सूर्य से जुड़े दूसरे तथ्यों, कणों के बारे में जानकारी एकत्र करेंगे।
इसरो के अनुसार, आदित्य एल-1 अभियान पूर्ण रूप से स्वदेशी होगा। इसमें बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स की अहम भूमिका है। इसी ने विजिबल एमिशन लाइन कॉर्नोग्राफ पेलोड तैयार किया है। इसी तरह पुणे के यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स ने सोलर अल्ट्रावॉयलेट इमेजिंग टेलीस्कोप पेलोड को तैयार किया है।
दुनियाभर में बीते छह दशक में सूर्य से जुड़े 22 मिशन भेजे जा चुके हैं। नासा के पार्कर सोलर प्रोब ने एक हजार डिग्री सेल्सियस से अधिक गर्मी झेली थी। आदित्य एल-1 को इतनी गर्मी नहीं झेलनी होगी, क्योंकि वो नासा के मिशन की तुलना में सूर्य से काफी दूर होगा।
यान सूर्य और पृथ्वी के बीच मौजूद लैंग्रेज प्वाइंट1 (एल-1) के पास स्थापित होगा। एल-1 प्वाइंट अंतरिक्ष में वो स्थान है जहां सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्तियां आकर्षण और प्रतिकर्षण के उन्नत क्षेत्र का निर्माण करती हैं।