चंद्रयान- 3 की बुधवार 23 अगस्त की शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चांद की सतह पर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग संभावित
नई दिल्ली। रूस के मून मिशन को झटका लगा है। चांद पर उतरने से पहले ही लूना-25 क्रैश हो गया है। आज सुबह ही पता चला था कि लैंडिंग में तकनीकी खराबी आई थी। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान- 3 मिशन अब इतिहास लिखने से महज एक कदम दूर है।इसरो के मुताबिक, 23 अगस्त (बुधवार) की शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चांद की सतह पर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग संभावित है। यह लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होगा।
बता दें कि 1976 में तत्कालीन सोवियत संघ के दौरान लूना-24 मिशन के लगभग पांच दशकों बाद पहली बार 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष में भेजा गया। इसने चंद्रमा पर पहुंचने के लिए अधिक सीधा रास्ता अपनाया है। लूना-25 को सोमवार को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरना था। इसके लिए लैंडिंग से पहले कक्षा बदली जानी थी, लेकिन तकनीकी दिक्कत के कारण नहीं बदली जा सकी।
वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का चंद्रयान- 3 मिशन अब इतिहास लिखने से महज एक कदम दूर रह गया है। शनिवार और रविवार की दरम्यानी रात करीब दो बजे चंद्रयान लैंडर विक्रम ने दूसरी बार डिबूस्टिंग की प्रकिया पूरी की। इस प्रक्रिया के साथ विक्रम चंद्रमा की सतह के और करीब जा पहुंचा है। उसके चारों इंजन सही तरीके से काम कर रहे हैं। अब उसकी सॉफ्ट लैंडिंग का इंतजार है।
इसरो के मुताबिक, 23 अगस्त (बुधवार) की शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चांद की सतह पर रोवर की सॉफ्ट लैंडिंग संभावित है। यह लैंडिंग चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने रविवार को कहा कि उसने चंद्रयान-3 मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) को कक्षा में थोड़ा और नीचे सफलतापूर्वक पहुंचा दिया, जिससे यह चंद्रमा के और करीब आ गया है। इसरो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “दूसरे और अंतिम डीबूस्टिंग (धीमा करने की प्रक्रिया) अभियान में लैंडर मॉड्यूल सफलतापूर्वक कक्षा में और नीचे आ गया है। मॉड्यूल अब आंतरिक जांच प्रक्रिया से गुजरेगा। चंद्रमा दक्षिणी ध्रुव पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ 23 अगस्त 2023 शाम पांच बजकर 45 मिनट पर होने की उम्मीद है।”
इन चरणों में कामयाबी के करीब पहुंचा मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर मॉड्यूल और प्रणोदन मॉड्यूल 14 जुलाई को मिशन की शुरुआत होने के 35 दिन बाद बृहस्पतिवार को सफलतापूर्वक अलग हो गए थे। इसरो के सूत्रों ने पूर्व में कहा था कि प्रणोदन मॉड्यूल से अलग हुए लैंडर को एक ऐसी कक्षा में लाने के लिए ‘डीबूट’ (धीमा करने की प्रक्रिया) से गुजारा जाएगा, जहां पेरिल्यून (चंद्रमा से कक्षा का निकटतम बिंदु) 30 किलोमीटर और अपोल्यून (चंद्रमा से सबसे दूर का बिंदु) 100 किमी की दूरी पर होगा, जहां से चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ का प्रयास किया जाएगा। इसरो पहले भी कर चुका है दो प्रयास बता दें कि इससे पहले भारत 2008 में चंद्रयान-1 और 2019 में चंद्रयान-2 भेज चुका है। दोनों अभियान असफल रहे थे। इसरो का कहना है कि चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में आई तकनीकी गड़बड़ियों को दूर करने के बाद ही चंद्रयान-3 भेजा गया है। चंद्रयान-2 की ही तरह इसरो ने चंद्रयान-3 में भी लैंडर का नाम विक्रम और रोवर का नाम प्रज्ञान रखा है। रोवर (प्रज्ञान) छह पहियों का एक रोबोट है जो लैंडर के अंदर ही होगा और सॉफ्ट लैंडिंग के बाद चंद्रमा की सतह पर बाहर आएगा।
रूस का लूना-25 चांद पर उतरने से पहले क्रैश, भारत का चंद्रयान- 3 मिशन इतिहास लिखने से महज एक कदम दूर
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