अल्मोड़ा: त्योहारी सीजन में बच्चों को बाल श्रम से बचाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, सीएसीएल अल्मोड़ा और उत्तराखंड यूथ नेटवर्क ने संयुक्त रूप से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा है। इस ज्ञापन में दिवाली जैसे त्योहारों के दौरान बच्चों को दुकानों, फड़ों और पटाखों की दुकानों पर काम करने से रोका जाए और उन्हें शिक्षा की ओर प्रेरित किया जाए, इसकी मांग की गई है।
सीएसीएल की राष्ट्रीय युवा प्रतिनिधि भारती पांडे के नेतृत्व में इस टीम ने जिलाधिकारी कार्यालय में पहुंचकर अपना ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में यूएनसीआरसी द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का भी उल्लेख किया गया है, जिसमें सभी देशों को 18 वर्ष तक के बच्चों को निःशुल्क शिक्षा प्रदान करने और बाल श्रम से मुक्त रखने का निर्देश दिया गया है।
बाल श्रम एक गंभीर समस्या:
बाल श्रम एक गंभीर सामाजिक समस्या है जो बच्चों के शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास को बाधित करती है। त्योहारों के दौरान यह समस्या और बढ़ जाती है जब बच्चे दुकानों पर काम करने के लिए मजबूर होते हैं। यह न केवल उनके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है, बल्कि उनकी शिक्षा को भी प्रभावित करता है।
सीएसीएल और उत्तराखंड यूथ नेटवर्क का प्रयास:
सीएसीएल और उत्तराखंड यूथ नेटवर्क ने इस समस्या के प्रति अपनी चिंता जाहिर की है और जिला प्रशासन से इस पर तत्काल कार्रवाई करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि जिला प्रशासन सभी संबंधित विभागों को निर्देश दे कि वे त्योहारों के दौरान बाल श्रम को रोकने के लिए आवश्यक कदम उठाएं। साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि बच्चों को शिक्षा के प्रति जागरूक किया जाए और उन्हें स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।
क्या है आगे का रास्ता:
जिला प्रशासन को अब इस ज्ञापन पर विचार करना होगा और बाल श्रम को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इसमें जागरूकता अभियान चलाना, दुकानदारों को बाल श्रम न करवाने के लिए प्रेरित करना और बाल श्रम के खिलाफ कानून का सख्ती से पालन करना शामिल हो सकता है।
समाज की भूमिका:
बाल श्रम को रोकने में केवल प्रशासन की ही नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों की भी महत्वपूर्ण भूमिका है। हमें सभी को मिलकर इस समस्या से लड़ने के लिए आगे आना होगा। हमें बच्चों को शिक्षित करने और उन्हें एक बेहतर भविष्य देने के लिए काम करना होगा।
अल्मोड़ा में बाल श्रम के खिलाफ उठा आवाज, सीएसीएल ने सौंपा ज्ञापन
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