हरिद्वार- सनातन ज्ञानपीठ शिवामंदिर सेक्टर 1 में चल रही श्री शिव महापुराण की पावन कथा मैं व्यास उमेश चंद्र शास्त्री जी ने कहा की मंगल विषधारी होने पर भी मंगलकारी है शिव। सनातन ज्ञान पीठ में 11वीं शिव महापुराण की कथा में पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री जी वृंदावन सेसनातन ज्ञान पीठ में 11वीं शिव महापुराण की कथा में पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री जी वृंदावन से उन्हें बताया कि सनातन ज्ञान पीठ में 11वीं शिव महापुराण की कथा में पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री जी वृंदावन से उन्होने बताया कि भगवान शिव का स्वरूप अमंगल सा लगता है देखने में भस्म धारण करते हैं सर कोभगवान शिव का स्वरूप अमंगल सा लगता है देखने में भस्म धारण करते हैं सर्प का हार पहनते हैं बिच्छू के कुंडल पहनते हैं बाघम्बर धारण करते हैं देखने मै अमंगलकारी लगते है।पर उनका ध्यान करने वाले उनकी कथा सुनने वाले का होता है मंगल क्योंकि वह शिवाशक्ति शक्तिमान ही शिव समर्थ्यवान है शिव के पास मंगल करने की शक्ति है वह मंगल मय जगत के लिए ओर जीव देखने मै मंगलकारी लगता है पर होता है अमंगलकारी,क्योकि मंगल कारी वाही होता है जो काम को जीत ले क्रोध को जीत ले ईर्षा को जीत ले। जीव से प्रेम करे भगवान शिव ही ऐसे देवता है जो जीवो पर दया नागी अपितु प्रेम करते है। प्रेम से जीव का तीसरा नेत्र खुलता है शिव माने कल्याण शिव माने मंगल इसलिए मंगलकारी शी की आराधना से ही जीव शिवमय होगा।और जब शिव मय होगा तभी तीसरा नेत्र खुलेगा तीसरा नेत्र माने ज्ञान चसु ज्ञान दाता शिव ही है शिव ही सबको ज्ञान देते है।हम कौन है शिव ने एक ज्योति प्रकट करके बताया ब्रह्मा को विष्णु को के तुम मेरे हो मुझसे हो नहीं तो बिना ज्ञान के ब्रह्मा विष्णु भी झगड़ा करने लगे तो यह शिव ज्योति शिव का निराकार रूप ही पूजा बहुत सरल ही सहज ही इसलिए शिव निस्फल ही पिंडी ही शिवलिंग है अर्थात शिव कथा सुनने से शिव पूजा करने से ही जीव का मंगल होता है।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश् शर्मा यज् मान राजीव , मीनाक्षी तेजप्रकाश,राकेश,दिलिप, आदित्य गहलोत ,सुनील चौहान मानदाता,राकेश मालवीय ,जयप्रकाश,महेश, अनिल,विष्णु,संतोष,सरला,कुसुम,अलका शर्मा,मंजू,अंजू,पुष्पा,अंजू, रेनू,विभा गौतम्, संतोष,भावना राजकिशोरी मिश्रा आदि उपस्थित् रहे।
विषधारी होने पर भी मंगलकारी है शिव: व्यास उमेश चंद्र शास्त्री
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