उत्तराखण्ड

नैनीताल: आपको पता है सरोवर नगरी में भी यहां है क्रेकलैंड

जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद नैनीताल के कच्चे पहाड़ों को लेकर भू वैज्ञानिक चिंतित
नैनीताल। जोशीमठ में भू धंसाव लगातार बढ़ रहा है। सरकार से लेकर हर किसी की नजर जोशीमठ पर लगी है। भू धंसाव को लेकर हर कोई चिंतित है और इस आपदा को अनियोजित विकास का कारण मान रहा है। जोशीमठ की तरह सरोवर नगरी नैनीताल भी अति संवेदनशील है। नैनीताल की पहाड़ियां बेहद नाजुक हैं। बारिश मव दरकरी हैं। ड्रेनेज सिस्टम ठीक नहीं है।लोंगव्यू इलाके में सबसे पुरानी दरार पड़ी है। इस दरार की वजह से लोग इस इलाके को क्रेकलैंड भी कहते हैं।
नैनीताल की सुरक्षा के लिए ब्रिटिशकाल में ही अंग्रेजों ने ड्रेनेज सिस्टम बना दिया था।  लेकिन अब झील में गिरने वाले नाले बड़े पैमाने पर अतिक्रमण की चपेट में हैं। इससे नैनीताल पर खतरा लगातार बढ़ रहा है। बीते वर्क दशक में नैनीताल में अतिक्रमण बढ़ा है। 2018 में बलियानाला में भूस्खलन के बाद कृष्णापुर बस्ती की हजारों की आबादी का सड़क संपर्क टूट गया। बलियानाला के मुहाने पर लगातार धंसाव होता है, जिससे कई परिवार खतरे की जद में हैं। जीआइसी भवन के मैदान सहित कई भवनों तक खतरा पहुंच गया है

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जिला प्रशासन ने बलियानाला ट्रीटमेंट कार्यों को देखते हुए जीआइसी को अन्यत्र शिफ्ट करने की योजना बनाई है। शहर की माल रोड पर वाहनों का लगातार बढ़ता दबाव खतरा बना है। लोअर माल रोड में 2007-08 में भी दरार पड़ी और सड़क धंसकर झील में समा गई। इसके बाद 2018 में भी लोअर माल रोड का 25 मीटर हिस्सा टूटकर झील में समा गया।
लोनिवि ने अस्थायी ट्रीटमेंट किया मगर रोड में दरारें कम नहीं हो रही हैं। अब लोनिवि ने ट्रीटमेंट के लिए करीब चार करोड़ का प्रस्ताव बनाकर भेजा है लेकिन शासन से अब तक बजट नहीं मिला है। कुमाऊं विवि के केनफील्ड के पास ड्रम हाउस में भी पुरानी दरार का अभी तक ट्रीटमेंट नहीं हुआ है। राजभवन क्षेत्र के गोल्फ ग्राउंड के पीछे की पहाड़ी निहालनाला में दशकों से दरक रही है। गोल्फ ग्राउंट के समर हाउस के पास भी दरारें हैं, जिसका स्थायी उपचार नहीं किया जा सका।

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भूस्खलन की वजह से 1987 में शिफ्ट किए परिवार
1987 में चायनापीक पहाड़ी से भूस्खलन की वजह से तमाम परिवारों को शिफ्ट करना पड़ा था। टिफिनटाप में भूस्खलन से विशालकाय बोल्डरों तक में दरारें पड़ी हैं। इसका ट्रीटमेंट कार्य शुरू नहीं हुआ है। चायनापीक की पहाड़ी में धंसाव हुआ तो वन विभाग ने खंतियों के माध्यम से ट्रीटमेंट तो किया, लेकिन वहां अटके बोल्डर कभी भी तबाही मचा सकते हैं।

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