शैक्षिक दखल यात्रा दल ने बजेटी गांव के आसपास के जलागम क्षेत्र का भ्रमण किया
पिथौरागढ। शैक्षिक दखल यात्रा दल ने आज बजेटी गांव के आसपास के जलागम क्षेत्र का भ्रमण किया। इस दौरान डॉ. दीप चौधरी ने इस क्षेत्र के नौलों,धारों और गधेरों के इतिहास के बारे में दल के सदस्यों को महत्वपूर्ण जानकारी दी। दल ने ग्रामीणों से भी बातचीत कर जल स्रोतों की स्थिति के बारे में जानकारी ली।
उल्लेखनीय है कि शैक्षिक दखल यात्रा दल अब तक बडोली , पौण , पपद्यो , हुडेती, मैला, पुनेड़ी , सिलपाटा , तड़ीगांव, ढुंगा, चंडाक, रई, दादिमखोला, टकाड़ी, टकोरा, चंद्रभागा आदि जलागम क्षेत्रों की यात्रा कर चुका है।
इस क्षेत्र के लोगों ने बताया कि पिछले कुछ सालों जल स्तर में लगातार तेजी से गिरावट आ रही है। इस वर्ष बारिश नहीं होने के चलते गिरावट अधिक बढ़ गई है। जो जल स्रोत कभी नहीं सूखते थे, वे भी सूख चुके हैं। किसानों और पशुपालकों के सामने गंभीर संकट पैदा हो गया है। वे दल के सदस्यों को जल विभाग के कर्मचारी समझकर,उनके सामने अपनी परेशानी खुलकर रख रहे हैं। कहीं कहीं ग्रामीणों में आक्रोश भी दिखाई दे रहा है।
यात्रा दल ने पाया कि कुछ जल स्रोत पूरी तरह से निर्माण कार्यों के मलवे से पट चुके हैं। जल स्रोतों के आसपास प्लास्टिक का कूड़ा जमा होना भी एक आम प्रवृत्ति बनती जा रही है। जन मंच के संयोजक भगवान रावत का कहना है कि अनियोजित और अंधाधुंध निर्माण कार्यों के चलते यह स्थिति पैदा हो गई है। संस्कृतिकर्मी जनार्दन उप्रेती “जन्नु दा” का सुझाव है कि सूखते जल स्रोतों को रिचार्ज करने के लिए परंपरागत चाल खाल परंपरा को पुनर्जीवित करने की जरूरत है। इस यात्रा का उद्देश्य जहां एक ओर बढ़ते जल संकट के दौर में परंपरागत जल स्रोतों के रखरखाव प्रति लोगों का ध्यान खींचना है, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण क्षेत्र के शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार सहित विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जानकारी एकत्र करना है। यह यात्रा अस्कोट आराकोट अभियान के हिस्से के रूप में की जा रही है। इसके द्वारा इस बार आह्वान किया गया है कि अपने क्षेत्र की नदियों के स्रोत से संगम तक की यात्रा करें। इसके तहत शैक्षिक दखल यात्रा दल संयोजक महेश चंद्र पुनेठा ने बताया है कि ठुलिगाड़ जलागम क्षेत्र की यात्रा काली नदी तक आगामी दिनों में की जाएगी। इस अध्ययन यात्रा से किशोर पाटनी, राजीव जोशी, चिंतामणि जोशी, रमेश जोशी, दीपक कुमार,दिनेश भट्ट, विनोद बसेड़ा , गिरीश पांडे प्रतीक, दीप चौधरी,भगवान रावत,प्रकाश पुनेठा आदि जुड़े हैं।
जल स्रोतों के संरक्षण की जरूरत: अध्ययन दल
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