आठ अप्रैल की सुबह तीन बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी सोमवती अमावस्या
हरिद्वार। इस बार सोमवती अमावस्या का स्नान बहुत ही दुलर्भ संयोग के साथ पड़ा है। इंद्र योग में इस दिन स्नान, दान करने से पितृ तो प्रसन्न होते ही हैं उनका आशीर्वाद बना रहता है। ज्योतिषाचार्यों की माने तो इस दिन समस्त शिव परिवार और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा अर्चना का विधान है। इसमें सभी को परिवार समेत गंगा स्नान और देव दर्शन करने चाहिए।
इस बार सोमवती अमावस्या स्नान पर्व की महत्ता बताते हुए नारायण ज्योतिष संस्थान के आचार्य विकास जोशी ने कहा कि चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की अमावस्या तिथि आठ अप्रैल की सुबह तीन बजकर 31 मिनट पर शुरू होगी और इस तिथि का समापन इसी दिन मध्य रात्रि 11 बजकर 50 मिनट पर होगा।
सोमवती अमावस्या बहुत ही दुर्लभ योग बन रहा है। इस दिन पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए और पितरों का तर्पण भी करना चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या के विशेष दिन पर समस्त शिव परिवार और माता लक्ष्मी को चावल की खीर का भोग अर्पित करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और देवी-देवता प्रसन्न मुद्रा में मनोवांछित फल की कामना को पूरा करते हैं।
ज्योतिषाचार्य विकास जोशी का कहना है कि सोमवती अमावस्या के विशेष दिन पर इंद्र योग का निर्माण हो रहा है। यह शाम छह बजकर 14 मिनट तक रहेगा। वहीं स्नान-दान के लिए शुभ समय सुबह चार बजकर 55 मिनट से सुबह के छह बजकर 30 मिनट के बीच रहेगा। इस योग में किया गया यज्ञ स्नान ओर दान अक्षय फलों को देने वाला होता है।
सोमवती अमावस्या पर स्नान का दुलर्भ संयोग, स्नान का ये है मुहूर्त
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