कमल जगाती
नैनीताल- ऊत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कॉर्बेट में छह हजार पेड़ कटान और अवैध निर्माण के प्रकरण में सरकार से पूछा है कि क्यों न मामले में सी.बी.आई.जांच कराई जाए ?
देहरादून निवासी अनु पंत की जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सरकार से कई सवाल किये हैं। अनु ने न्यायालय से कहा की कॉर्बेट में हुए छह हजार पेड़ों के कटान के सम्बन्ध में कई रिपोर्ट न्यायालय के समक्ष रखी गई। बीती छह जनवरी को न्यायालय ने मुख्य सचिव से भी कहा था की वो कॉर्बेट में छह हजार पेड़ के कटान के प्रकरण पर सभी रिपोर्ट उनके सामने पेश करें और ये बताएं की किन लोगों की लापरवाही और संलिप्तता से ये अवैध कार्य हुए हैं ? मुख्य सचिव ने जिन लोगो के नाम लिए, उनमें कुछ अधिकारियों के नाम नहीं थे और उसमे तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह का नाम भी नहीं था। गौरतलब है की तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत का नाम सेंट्रल एम्पावर्ड कमिटी(central empowered committee)की रिपोर्ट में प्रमुखता से लिया गया है जिसे न्यायालय में जमा किया गया है। उनका नाम राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण(एन.जी.टी.)में जमा हुई रिपोर्ट में भी है। उनके रोल के बारे में राज्य के ऑडिटर जनरल ने भी तीखी टिपण्णी की है। इन सभी रिपोर्टों को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अभिजय नेगी ने विस्तार से न्यायालय को दिखाया। इसपर न्यायालय ने सरकार के मुख्य स्थाई अधिवक्ता से पूछा की तत्कालीन वन मंत्री हरक सिंह रावत और उच्च शीर्ष वन अधिकारी जिनके नाम विभिन रिपोर्ट में सामने आये है, उनपर कार्यवाही क्यों नहीं हुई है ? इसपर मुख्य अस्थाई अधिवक्ता ने कहा की मुख्य सचिव अपने स्तर से न्यायालय को सही तथ्य बता रहे हैं। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने टिप्पणी करते हुए कहा कि मामले की गंभीरता और शीर्ष अधिकारियों के संदिग्ध रोल को देखते हुए, मामले को क्यों न सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन(सी.बी.आई.)को भेजा जाए। मामले में, अगली सुनवाई एक सितम्बर के लिए तय की गई है।