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तीर्थ द्वादश ज्योतिर्लिंग ,33 कोटि देवताओं के पूजन से जो मिलता है वही फल मिलता है मां-बाप की पूजा से : उमेश चंद्र शास्त्री

हरिद्वार- सनातन ज्ञानपीठ शिव मंदिर सेक्टर 1 भेल रानीपुर हरिद्वार द्वारा आयोजित शिव महापुराण कथा में श्री धाम वृंदावन से परम पूज्य उमेश चंद्र शास्त्री नवम दिवस की कथा में बताया कि गणेश की प्रथम पूजा क्यों होती है क्योंकि गणेश जी ने मां-बाप की परिक्रमा की माँ बाप की पूजा की।महाराज जी बताया की दुनिया के समस्त तीर्थ द्वादश ज्योतिर्लिंग ,33 कोटि देवताओं के पूजन से जो मिलता है वही फल मिलता है मां-बाप की पूजा से ।मां की आज्ञा का परिपूर्ण पालन किया गणेश जी ने तभी तो अपना सिर कट जाने के बाद पुनः जीवित ही नहीं सभी देवताओं मै अग्रगण्य हो गये अर्थात सर्वप्रथम पूजा गणेश जी की होती है। तभी तो द्वारकाधीश का रथ फस गया था क्योंकि गणेश जी को साथ में लेकर नहीं गए थे।जब गणेश जी को साथ लाये तब रथ निकला इतना ही नहीं परशुराम जी के पिताजी ने अपने बच्चों से कहा अपनी मां को मार दो सब ने मना कर दिया फिर परशुराम जी से कहा बेटा तुम अपनी मां को और अपने भाइयों को मार दो उन्होंने तुरंत मार दिया।

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परशुराम जी के पिता जी ने कहा मैं प्रश्नन हूं मांगो क्या वर मांगते हो

परशुराम जी के पिता जी ने कहा मैं प्रश्नन हूं मांगो क्या वर मांगते हो परशुराम जी बोले मेरे द्वारा मारे सभी लोग जीवित हो जाए और ये भूल जाए की इनको मैने मारा था। महाराज जी बताते है की कहने का भाव ये है की जिसने माँ -बाप की पूजा कर ली उसने भगवान की पूजा कर ली हम कितने ही मंदिर जाए, कितना भी दान करे, कितनी ही कावड़ ले आये पर् असली फल तब ही मिलेगा जब हम अपने मा-बाप की सेवा करे।,दूसरा जीवित तो सेवा करनी ही है उसके बिना गति नहीं।पर मरने के बाद श्राद्ध कर्म आदि भी जरूर करने चाहिए क्योंकि उससे हमारे पूर्वज प्रश्नन रहते हैं उस व्यक्ति को दुनिया पूजती है उसके यहां सर्वानंद रहता है गणेश जी का विवाह बड़ी ही धूमधाम से मानते हुए महाराज जी ने बताया कि जो व्यक्ति मां-बाप की सेवा करते हैं उनके जीवन में रिद्धि सिद्धि आती है वह बुद्धिमान हो जाते हैं और पूरे जगत में पूज्य् होते हैं इसलिए जिसको जगत में पूज्य बनना है वो गणेश जैसी मां- बाप की पूजा ओर सेवा करे।
कथा में मंदिर सचिव ब्रिजेश शर्मा कथा के मुख्य यजमान राजीव ओर मीनाक्षी, जयप्रकाश, आदित्य गहलोत, राकेश मालवीय , रामकुमार, तेजप्रकाश, दिलीप गुप्ता, अनिल चौहान, सुनील चौहान, महेश, दीपक मोर, शशि शर्मा , ऋषि , संजीव, विष्णु, मानदाता , होशियार , चंद्रभान, दिनेश उपाध्याय, मूला सिंह,
अलका, संतोष, पुष्पा, कुसुम, सरला, अंजू, मंजू, डोली, विभा गौतम, भावना, अनपूर्णा, राजकिशोरी मिश्रा, रेनू शर्मा, अर्चना, कौशल्या, सुमन, विनोद देवी अनेको श्रोता उपस्थित रहे।

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