देहरादून: दिल्ली सरकार द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के लिए ग्रैप-2 नियमों में किए गए बदलाव के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम की मुश्किलें बढ़ गई हैं। दिल्ली सरकार ने पुरानी डीजल बसों पर फिर से प्रतिबंध लगा दिया है, जिसके कारण अब सिर्फ बीएस-6, सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसें ही दिल्ली जा सकती हैं।
इस नए नियम के लागू होने के बाद उत्तराखंड परिवहन निगम की लगभग 160 डीजल बसें दिल्ली में प्रवेश करने से वंचित रह गई हैं। हालांकि, कार्बन उत्सर्जन कम होने के कारण बीएस-4 वोल्वो बसों पर अभी प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।
दिल्ली परिवहन विभाग और पुलिस ने सोमवार को उत्तराखंड परिवहन निगम की चार साधारण बसों का चालान कर दिया, जिसके बाद निगम ने सतर्कता बरतते हुए सभी पुरानी डीजल बसों का संचालन दिल्ली मार्ग पर रोक दिया है।
उत्तराखंड परिवहन निगम की मुश्किलें:
यह फैसला उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए एक बड़ा झटका है। निगम की एक बड़ी संख्या में बसें दिल्ली मार्ग पर चलती हैं और यह मार्ग निगम के लिए आय का एक प्रमुख स्रोत है। इस प्रतिबंध के कारण निगम को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।
यात्रियों को परेशानी:
इस फैसले से दिल्ली जाने वाले यात्रियों को भी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उन्हें अब अन्य साधनों से दिल्ली जाना होगा, जिससे यात्रा का खर्च बढ़ जाएगा।
क्या हैं समाधान?
* नई बसें खरीदना: निगम को पुरानी डीजल बसों को बदलकर नई बीएस-6, सीएनजी या इलेक्ट्रिक बसें खरीदनी होंगी।
* दिल्ली सरकार से अपील: निगम को दिल्ली सरकार से अपील करनी चाहिए कि वह उत्तराखंड परिवहन निगम को कुछ समय की छूट दे।
* अन्य मार्गों का विकास: निगम को अन्य मार्गों का विकास कर सकता है।
यह समस्या उत्तराखंड परिवहन निगम के लिए एक बड़ी चुनौती है। निगम को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।