उत्तराखण्ड

उत्तराखंड सरकार में ‘आर-2’ बंगले का मिथक, कुर्सी गंवाने वाले पहले मंत्री नहीं प्रेमचंद अग्रवाल

देहरादून। उत्तराखंड सरकार में हाल ही में प्रेमचंद अग्रवाल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के साथ ही देहरादून की यमुना कॉलोनी स्थित ‘आर-2’ बंगला फिर से चर्चा में आ गया है। इस बंगले से जुड़ा एक मिथक है, जिसके अनुसार यहां रहने वाला मंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता। प्रेमचंद अग्रवाल ने भी विवादित बयान के बाद इस्तीफा दिया और इसके अगले ही दिन उन्होंने सरकारी बंगला ‘आर-2’ भी खाली कर दिया।

‘आर-2’ बंगले का इतिहास

‘आर-2’ बंगले का निर्माण उस समय हुआ था जब उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। इसे सिंचाई विभाग के अधिकारियों के लिए बनाया गया था। लेकिन उत्तराखंड राज्य बनने के बाद इस बंगले का उपयोग मंत्रियों के सरकारी आवास के रूप में किया जाने लगा।

2002 में नारायण दत्त तिवारी के नेतृत्व में बनी सरकार में यह बंगला शूरवीर सिंह सजवाण को आवंटित किया गया था। सजवाण उस समय सिंचाई मंत्री थे। लेकिन 91वें संविधान संशोधन के तहत मंत्रिमंडल का आकार छोटा करने की आवश्यकता पड़ी, जिसके चलते 2004 में नारायण दत्त तिवारी को 5 मंत्रियों को हटाना पड़ा, जिनमें सजवाण भी शामिल थे।

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बंगले से जुड़ा मिथक

‘आर-2’ बंगले को लेकर वर्षों से यह मिथक बना हुआ है कि यहां रहने वाला मंत्री कार्यकाल पूरा नहीं कर पाता। 2007 में हरक सिंह रावत इस बंगले में रहे। उस दौरान वे नेता प्रतिपक्ष थे और उन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया। लेकिन 2012 में मंत्री बनने के बाद जब उन्होंने फिर से ‘आर-2’ बंगला लिया तो 2016 में हरीश रावत सरकार के खिलाफ हुई बगावत के चलते उन्हें पद और बंगला दोनों छोड़ना पड़ा।

मुख्यमंत्री आवास से जुड़े मिथक का असर

‘आर-2’ बंगले की तरह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री आवास को लेकर भी लंबे समय तक यही मिथक चलता रहा कि यहां रहने वाला मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं करता। 2012 में विजय बहुगुणा जब मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में रहना शुरू किया, लेकिन 2014 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा। इस मिथक से बचने के लिए उनके बाद बने मुख्यमंत्री हरीश रावत ने मुख्यमंत्री आवास में रहने से परहेज किया।

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त्रिवेंद्र रावत ने मिथक तोड़ने की कोशिश की

2017 में विधानसभा चुनाव के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री बने और उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में रहने का फैसला किया। उन्होंने मिथक को तोड़ने की कोशिश की लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले ही 2021 में उन्हें पद छोड़ना पड़ा।

पुष्कर सिंह धामी के लिए मुख्यमंत्री आवास रहा ‘शुभ’

हालांकि, मौजूदा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए मुख्यमंत्री आवास शुभ साबित हुआ। 2021 में मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने यहां रहना शुरू किया और 2022 के विधानसभा चुनाव में हार के बावजूद पार्टी ने उन्हें दोबारा मुख्यमंत्री बनाया। इससे यह मिथक टूटने लगा कि मुख्यमंत्री आवास या ‘आर-2’ बंगला अशुभ है।

प्रेमचंद अग्रवाल का इस्तीफा और बंगला खाली करना

प्रेमचंद अग्रवाल को 2022 में यह बंगला आवंटित किया गया था। हाल ही में उनके ‘पहाड़-मैदान’ वाले विवादित बयान के कारण उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। इसके साथ ही उन्होंने बंगला भी खाली कर दिया, जिससे एक बार फिर ‘आर-2’ बंगला और उससे जुड़ा मिथक चर्चा में आ गया है।

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