अल्मोड़ा: जाख गांव की रहने वाली पुष्पा देवी ने एक अनोखा कीर्तिमान स्थापित करते हुए 21.5 किलो का विशाल कद्दू उगाया है। उनके इस अद्भुत कारनामे के लिए उद्यान विभाग ने उन्हें सम्मानित करने का निर्णय लिया है।
पुष्पा देवी अपने पॉली हाउस में कद्दू के अलावा लीलियम पुष्प की भी खेती करती हैं। हाल ही में, उद्यान विभाग के अधिकारियों ने उनके खेत का दौरा किया और उनकी फसलों का निरीक्षण किया। इस दौरान, उन्होंने एक विशाल कद्दू देखा जिसका वजन 21.5 किलो था।
उद्यान विभाग के मुख्य उद्यान अधिकारी डॉ. नरेंद्र कुमार ने बताया कि पुष्पा देवी की मेहनत और लगन का यह नतीजा है। उन्होंने कहा, “पुष्पा देवी ने न केवल स्थानीय कृषि को बढ़ावा दिया है बल्कि स्थानीय प्रजातियों के संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है।”
उद्यान विभाग ने स्थानीय स्तर पर कद्दू की प्रजातियों के बीजों को संरक्षित करने की महत्वाकांक्षी योजना बनाई है। विभाग का मानना है कि स्थानीय प्रजातियां मौसमी बदलावों के प्रति अधिक अनुकूल होती हैं और नई प्रजातियों के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आनुवांशिक स्रोत का काम करती हैं।
स्थानीय प्रजातियों का महत्व
स्थानीय प्रजातियों को संरक्षित करने से कई फायदे होते हैं:
* मौसमी बदलावों के प्रति अनुकूलता: स्थानीय प्रजातियां लंबे समय से उस क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुकूल हो चुकी होती हैं, जिससे वे मौसमी बदलावों को आसानी से सहन कर सकती हैं।
* जैविक खेती को बढ़ावा: स्थानीय प्रजातियां जैविक खेती के लिए अधिक उपयुक्त होती हैं क्योंकि वे स्थानीय पारिस्थितिक तंत्र का हिस्सा होती हैं।
* आनुवांशिक विविधता: स्थानीय प्रजातियां आनुवांशिक विविधता को बढ़ावा देती हैं, जो नई प्रजातियों के विकास के लिए आवश्यक है।
उद्यान विभाग का यह कदम न केवल पुष्पा देवी जैसी महिला किसानों को प्रोत्साहित करेगा बल्कि स्थानीय कृषि और जैविक खेती को भी बढ़ावा देगा।