इसलिए 30 और 31 अगस्त को मनाया जा रहा इस बार रक्षाबंधन पर्व
हल्द्वानी। आज श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। इस वर्ष रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दो दिन मनाया जा रहा है। दरअसल रक्षाबंधन के त्योहार की पूर्णिमा तिथि दो दिन पड़ने और साथ ही भद्रा का साया रहने के कारण इसको लेकर मतभेद है कि रक्षाबंधन 30 अगस्त को मनाना शुभ होगा या फिर 31 अगस्त को।
पंचांग और ज्योतिषाचार्यों के बीच को लेकर भी कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व हर साल श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। साथ ही इस बात का विशेष ध्यान दिया जाता है कि रक्षाबंधन के दिन भद्रा काल नहीं होना चाहिए। शास्त्रों और और मुहूर्त शास्त्र में भद्रा को अशुभ माना जाता है। ऐसे में रक्षाबंधन कब मनाया जाना चाहिए, राखी बांधने का मुहूर्त क्या है, भद्राकाल का विचार, श्रावण पूर्णिमा तिथि कब से शुरू होगा और कब खत्म होगी, भद्रा को क्यों अशुभ माना जाता है और रक्षाबंधन के डेट को लेकर ज्योतिषियों की सलाह क्या है?
इस वर्ष रक्षाबंधन 2 दिन क्यों?
इस साल रक्षाबंधन के त्योहार की तारीख लेकर मतभेद है कि राखी का पर्व 30 अगस्त को मनाया जाय या फिर 31 अगस्त को। हिंदू पंचांग के अनुसार रक्षाबंधन का त्योहार हर वर्ष श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि और भद्रा काल रहित मुहूर्त में मनाने की परंपरा होती है। दरअसल इस साल सावन पूर्णिमा की तिथि अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 30 और 31 अगस्त दोनों ही दिन पड़ रही है, इसके अलावा श्रावण पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के साथ ही भद्राकाल शुरू हो जाएगा। शास्त्रों में भद्रा के समय राखी बांधना शुभ माना जाता है। 30 अगस्त को रक्षाबंधन क दिन भद्रा पूरे दिन रहेगी फिर रात 09 बजकर 01 मिनट पर भद्राकाल खत्म हो जाएगा।
रक्षाबंधन कब मनाएं 30 या 31 अगस्त को ?
कुछ ज्योतिषाचार्यों के अनुसार रक्षाबंधन 30 अगस्त को मना सकते हैं तो पंडितों का मानना है कि श्रावणी पर्व को 31 अगस्त भी मनाया जा सकता है। दरअसल पूर्णिमा तिथि 30 और 31 अगस्त दो दिन पड़ रही है जिस कारण से तारीख को लेकर मतभेद है। 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि सुबह से शुरू हो जाएगी और इसी के साथ भद्रा भी लग जाएगी जो पूरे दिन चलेगी। ऐसे में 30 अगस्त को दिन के समय भद्रा रहने के कारण रक्षाबंधन नहीं मनाया जा सकता है। रात्रि 09 के बाद भद्रा खत्म हो जाएगी। ऐसे में रात्रि के 9 बजे के बाद राखी बांधी जा सकती है। हिंदू पंचांग के अनुसार 31 अगस्त को सुबह 07 बचकर 07 मिनट तक श्रावण माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि रहेगी। ऐसे में 31 अगस्त की सुबह 07 बजकर 07 मिनट से पहले राखी बांधी जा सकती है।
रक्षाबंधन पर क्यों रहता है भद्राकाल साया ?
आमतौर पर यह देखा जाता है कि हर 2 साल के दौरान भद्रा के कारण रक्षाबंधन का त्योहार 2 दिन मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक रक्षाबंधन का त्योहार पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है लेकिन पूर्णिमा तिथि के शुरू होने के साथ भद्रा भी शुरू जाती है। पूर्णिमा तिथि का करीब आधा भाग भद्राकाल के साए में रहता है। रक्षाबंधन के त्योहार भद्रा में मनाना वर्जित होता है। इसके अलावा हर दूसरे वर्ष हिंदू कैलेंडर की पूर्णिमा तिथि और अंग्रेजी कैलेंडर की तारीखों में तालमेल न होने के वजह से राखी का त्योहार हर दूसरे साल दो दिनों तक मनाया जाता है।
क्या होती है भद्रा?
पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन हैं। भद्रा का स्वभाव क्रोधी है। जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरे सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थीं। इस तरह से भद्रा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान होते वहां विध्न आने लगता है। इस कारण से जब भद्रा लगती है तब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा तिथि की शुरूआती आधा हिस्सा भद्रा काल होता है जिस कारण से रक्षाबंधन के दिन भद्रा का साया होने के कारण राखी नहीं बांधी जाती है।
तिथि, भद्राकाल और शुभ मुहूर्त
श्रावण पूर्णिमा तिथि आरंभ- 30 अगस्त सुबह 10 बजकर 58 मिनट
श्रावण पूर्णिमा तिथि समापन-31 अगस्त सुबह 07 बजकर 07 मिनट
भद्राकाल- पूर्णिमा तिथि के प्रारंभ के साथ भद्रा की शुरुआत
भद्राकाल की समाप्ति- 30 अगस्त को रात्रि 9 बजकर 1 मिनट पर
भद्रा मुख- 30 अगस्त शाम 06:31 बजे से 08:11 तक
भद्रा पूंछ- 30 अगस्त शाम 05:30 से 06:31 तक
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (30 अगस्त)- रात्रि 09 बजकर 03 मिनट के बाद
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त (31 अगस्त)- सुबह 07 बजकर 07 मिनट तक