सचिव कार्मिक शैलेश बगौली ने इस बाबत सभी सचिव और विभागाध्यक्षों को पत्र भेजे
देहरादून। सरकारी और अर्द्ध सरकारी विभागों में अब आउटसोर्स से भरे जाने वाले पदों में भी आरक्षण अनिवार्य रूप से लागू होगा। सचिव कार्मिक शैलेश बगौली ने इस बाबत सभी सचिव और विभागाध्यक्षों को पत्र भेजे हैं।
आउटसोर्स से अब तक हुई भर्तियों में अक्सर विवाद होते रहे हैं। कई संगठन तो बैकडोर से होने वाली भर्तियों में अपने परिचितों को नियुक्ति देने का आरोप भी लगाते रहे हैं। विधानसभा में हुई बैकडोर भर्तियों से लेकर उपनल के जरिए जो भी भर्तियां हुई हैं, इनमें आरक्षण के नियमों की अनदेखी की गई।
पुष्कर धामी सरकार ने आउटसोर्स से भरे जाने वाले पदों में पारदर्शिता लाने के लिए अब आरक्षण का प्रावधान कड़ाई से लागू कर दिया है। राज्याधीन सेवाओं में इसे तत्काल प्रभाव से लागू किया जाएगा। सचिव बगौली ने कहा कि भविष्य में आउटसोर्स से भरे जाने वाले पदों के लिए जो भी प्रस्ताव भर्ती एजेंसियों को भेजे जाएंगे, उनमें श्रेणीवार आरक्षण के पद भी शामिल किए जाएंगे। राज्य के विभिन्न सरकारी और अर्द्ध सरकारी विभागों में आउटसोर्स के लगभग 22 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। इनमें कहीं भी महिला, दिव्यांग, एससी, एसटी, ओबीसी और स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आरक्षण का पालन नहीं किया गया।
उधर, उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष दीपक जोशी का कहना है कि आरक्षण का मूल उद्देश्य गरीबों को मुख्यधारा में लाने का था। सभी वर्गों में ऐसे लोग हैं। आरक्षण का लाभ पाकर जो अब क्रीमीलियर की श्रेणी में आ चुके हैं, उन्हें किस बात का आरक्षण दिया जा रहा है। सरकार को आरक्षण का लाभ देने के लिए आर्थिक आधार को पैमाना बनाना होगा, अन्यथा गरीब तो गरीब रहेगा।
वहीं, उत्तराखंड एससी-एसटी इंप्लाइज फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष करम राम का कहना है कि सरकार आरक्षण देने के लिए जीओ तो निकालती है पर उस पर अमल नहीं कराती। अफसर भर्तियों में आरक्षण की अनदेखी करते रहे। कई बार फेडरेशन सरकारों के संज्ञान में यह बात ला चुकी है। उन्होंने कहा कि जो विभागाध्यक्ष आरक्षण पर अमल नहीं कराते, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कारवाई होनी चाहिए, तब ही सरकार की मंशा का पता चलता है।