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उत्तराखण्ड

उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा ऑडिट, अल्मोड़ा हादसे के बाद कड़ा कदम

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देहरादून: अल्मोड़ा में हुई भीषण बस दुर्घटना के बाद उत्तराखंड सरकार ने सड़क सुरक्षा को लेकर गंभीर कदम उठाए हैं। राज्य के परिवहन विभाग ने देहरादून संभाग के चार जिलों देहरादून, हरिद्वार, टिहरी और उत्तरकाशी में रोड सेफ्टी ऑडिट का आदेश जारी किया है।


क्या है रोड सेफ्टी ऑडिट?
रोड सेफ्टी ऑडिट में सड़कों की स्थिति, दुर्घटनाग्रस्त स्थलों का निरीक्षण और सड़क सुरक्षा से जुड़े अन्य पहलुओं का गहन अध्ययन किया जाएगा। इस ऑडिट में परिवहन विभाग, पुलिस, राष्ट्रीय राजमार्ग खंड और लोक निर्माण विभाग की संयुक्त टीम शामिल होगी।


क्यों जरूरी है रोड सेफ्टी ऑडिट?
राज्य में लगातार बढ़ती सड़क दुर्घटनाओं और हताहतों की संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार यह कदम उठाया गया है। खराब सड़कों, गड्ढों, सुरक्षा दीवारों के अभाव और लेन मार्किंग न होने के कारण अधिकांश दुर्घटनाएं होती हैं।
कब तक पूरा होगा ऑडिट?
सभी जिलों के एआरटीओ इस ऑडिट के नोडल अधिकारी होंगे। उन्हें 31 दिसंबर तक अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी।
मुख्यमंत्री के निर्देश पर शुरू हुआ अभियान:
अल्मोड़ा दुर्घटना के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सभी जिलों में रोड सेफ्टी ऑडिट कराने के निर्देश दिए थे। इसी के तहत परिवहन विभाग ने यह कदम उठाया है।

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क्या होगा ऑडिट में?
ऑडिट टीम ऐसे स्थानों का सर्वेक्षण करेगी जहां दुर्घटना होने की संभावना अधिक होती है। इन स्थानों को चिन्हित कर सुधार के लिए सुझाव दिए जाएंगे।
आगे का क्या?
इस ऑडिट के आधार पर सरकार सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए आवश्यक कदम उठाएगी। इसमें सड़कों की मरम्मत, सुरक्षा दीवारों का निर्माण और लेन मार्किंग करना शामिल हो सकता है।

इन बिंदुओं पर होगा सेफ्टी ऑडिट

• सड़क की चौड़ाई निर्धारित मानक के अनुसार है या नहीं।

• मार्ग का कितना हिस्सा संकरा मार्ग/बाटलनेक की श्रेणी में है।

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• भूस्खलन संभावित क्षेत्र कितना है।

• मोड पर, 10 मीटर या अधिक गहरी खाई पर पैराफिट/क्रैश बैरियर व सुरक्षा के उपाय हैं या नहीं।

• मार्ग पर संकेतक लगे हुए हैं या नहीं।

• तीव्र ढलान पर समुचित संकेत व सुरक्षा उपाय हैं या नहीं।

• मार्गों पर अनाधिकृत मीडियन तो नहीं है।

• मार्ग किनारे बिजली व टेलीफोन के खंभे, पेड़ या होर्डिंग के कारण दुर्घटना की आशंका।

• मार्ग पर पड़ने वाले रिहायशी क्षेत्रों में पर्याप्त पथ-प्रकाश व सुरक्षा उपाय हैं या नहीं।

• रोड मार्किंग, डेलीनेटर, कैट आई, सेंटर लाइन, रोड साइन व स्पीड कामिंग मीजर्स हैं या नहीं।

• मार्ग पर उचित साइन बोर्ड लगे हैं या नहीं।

• तीव्र ढाल वाले पर्वतीय मार्ग कहां-कहां और कितने हैं।

• अंधा मोड/तीव्र मोड, जिसके कारण सामने से आता हुआ वाहन न दिखता हो।

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