नैनीताल: उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी में मंगलपड़ाव से रोडवेज बस स्टेशन तक सड़क चौड़ीकरण और सुंदरीकरण की जद में आ रहे व्यापारियों की याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पूर्व में पारित अतिक्रमण हटाने के आदेश को बरकरार रखा है। साथ ही, सरकार और नगर निगम से सड़क चौड़ीकरण के मानकों के बारे में जानकारी मांगी है।
यह मामला पिछले कुछ समय से सुर्खियों में है। मंगलपड़ाव से रोडवेज बस स्टेशन तक सड़क चौड़ीकरण की योजना के तहत कई दुकानों और भवनों को हटाया जाना है। प्रभावित व्यापारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्होंने नगर निगम को कई सालों से किराया दिया है और इन दुकानों को नगर निगम ने ही उन्हें आवंटित किया था। उन्होंने यह भी कहा कि सड़क चौड़ीकरण से उनके जीवन यापन का साधन छिन जाएगा।
हालांकि, हाई कोर्ट ने व्यापारियों की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक हित में सड़क चौड़ीकरण जरूरी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर किसी का हित प्रभावित होता है तो वह अन्य कानूनी विकल्प अपना सकता है।
मुख्य बिंदु:
* हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण को लेकर हाई कोर्ट का फैसला आया है।
* कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने के आदेश को बरकरार रखा है।
* सरकार और नगर निगम को सड़क चौड़ीकरण के मानकों के बारे में जानकारी देनी होगी।
* प्रभावित व्यापारियों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
* कोर्ट ने सार्वजनिक हित में सड़क चौड़ीकरण को जरूरी बताया है।
क्या हैं इस फैसले के मायने?
इस फैसले के बाद हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण की प्रक्रिया में तेजी आ सकती है। हालांकि, इससे प्रभावित व्यापारी अब भी कानूनी लड़ाई लड़ सकते हैं। यह मामला उत्तराखंड के कई अन्य शहरों में भी सड़क चौड़ीकरण के मुद्दे पर चल रही बहस को प्रभावित कर सकता है।
आगे क्या होगा?
अब सरकार और नगर निगम को सड़क चौड़ीकरण के मानकों के बारे में कोर्ट को जानकारी देनी होगी। इसके बाद कोर्ट इस मामले में अगली सुनवाई करेगा।
हल्द्वानी में सड़क चौड़ीकरण: हाई कोर्ट का फैसला, व्यापारियों की मुश्किलें बरकरार
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