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नई दिल्ली

बुद्ध पार्क में नफरत की राजनीति के विरुद्ध सद्भावना सम्मेलन आयोजित

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25 जुलाई को श्रीदेव सुमन के शहीदी दिवस पर उनके गांव जौल में प्रजातंत्र दिवस मनाया जाएगा
9 अगस्त को “भारत छोड़ो आंदोलन” की बरसी पर प्रदेश की राजधानी देहरादून में कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा
हल्द्वानी।
देश में बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं, नफरत की राजनीति एवं उत्तराखंड को हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बनाये जाने के विरोध में हल्द्वानी के बुद्ध पार्क में आयोजित सद्भावना सम्मेलन विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक संगठनों, विपक्षी राजनीतिक दलों  एवं पत्रकारों-बुद्धिजीवियों, राज्य आंदोलनकारियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं की व्यापक भागीदारी के साथ संपन्न हुआ।
सद्भावना सम्मेलन में तय हुआ कि 25 जुलाई को श्रीदेव सुमन के शहीदी दिवस पर उनके गांव जौल में प्रजातंत्र दिवस मनाया जायेगा। इसके अलावा 9 अगस्त को “भारत छोड़ो आंदोलन” की बरसी पर प्रदेश की राजधानी देहरादून में कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा। साथ ही “नफरत नहीं रोजगार दो” शीर्षक पर्चे के साथ प्रदेश भर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जायेगा। सद्भावना सम्मेलन में प्रस्ताव आये कि फैक्टरियों की यूनियनों और किसान संगठनों को भी अपने कारवां में शामिल किया जाये।
वक्ताओं ने आरोप लगाया कि उत्तरकाशी के पुरोला और हल्द्वानी के कमलुवागांजा की घटनायें दिखा रही हैं कि आरएसएस-भाजपा द्वारा योजनाबद्ध तरीके से प्रदेश का माहौल बिगाड़ा जा रहा है ताकि वोटों का ध्रुवीकरण किया जा सके। उत्तराखंड को हिंदुत्व की नई प्रयोगशाला बनाया जा रहा है। आज प्रदेश में पुलिस हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं की तरह काम कर रही है।
प्रदेश के मुख्यमंत्री खुद ही लैंड जेहाद और लव जेहाद जैसी असंवैधानिक शब्दावली का प्रयोग कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि आज प्रदेश में सरकारी संरक्षण में भू माफिया अपना जाल फैला रहा है। वक्ताओं ने कहा कि हमारी विरासत 1857 का पहला स्वतंत्रता संग्राम है जबकि हिंदू और मुसलमान मिलकर अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े थे। इसी तरह रामप्रसाद बिस्मिल और अशफाक उल्ला खान की साझी शहादत हमारी विरासत है। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली हमारे आदर्श हैं, जिन्होंने निहत्थे पठानों पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था।
सद्भावना सम्मेलन में जहां 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने हेतु व्यापक एकजुटता कायम करने का आह्वान किया गया वहीं इस बात पर भी जोर दिया गया कि हमें आरएसएस -भाजपा द्वारा बिछाई गई शतरंज की बिसात पर खेलने के बजाय भयंकर रूप से बढ़ती बेरोजगारी और महंगाई, मजदूरों के बेइंतहा शोषण और छीने जाते कानूनी अधिकार, जमीन की कॉर्पोरेट लूट, दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमले, निजीकरण की नीतियों इत्यादि पर आंदोलन को आगे बढ़ाना होगा।
सद्भावना सम्मेलन में चेतना आंदोलन, सी पी एम, उत्तराखंड लोक वाहिनी, महिला एकता मंच, उत्तराखंड सद्भावना समिति, सी पी आई ( माले ), उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, सी पी आई, कांग्रेस, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, एस एफ आई, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, अम्बेडकर मिशन, मजदूर सहयोग केंद्र, इंकलाबी मजदूर केंद्र, भीम आर्मी, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, उत्तराखंड सर्वोदयी मंडल, वन गूजर ट्राइबल युवा संगठन, वन पंचायत संघर्ष मोर्चा, उत्तराखंड महिला मंच, क्रांतिकारी किसान मंच, पीपल्स साइंस मूवमेंट इत्यादि के प्रतिनिधियों ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की। सम्मेलन की अध्यक्षता उत्तराखंड महिला मंच की उमा भट्ट और संचालन उत्तराखंड सद्भावना समिति के भुवन पाठक व वन पंचायत संघर्ष मोर्चा के तरुण जोशी ने किया।

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