हल्द्वानी। देश में शादी का सीजन जोरों पर है। देवउठनी एकादशी से शुरू हुए इस सीजन में करीब 48 लाख शादियां होने का अनुमान है। लेकिन बढ़ती महंगाई ने शादियों के बजट को काफी हद तक प्रभावित किया है। खान-पान, सजावट, बैंड-बाजा, यहां तक कि शादी के स्थानों के किराए में भी जबरदस्त बढ़ोतरी देखी गई है।
महंगाई का असर:
* खाना: जहां पहले एक प्लेट भोजन 500-900 रुपये में मिलता था, वहीं अब इसकी कीमत बढ़कर 1200-1700 रुपये या इससे भी अधिक हो गई है।
* शादी के स्थान: गार्डन और होटलों के किराए में 10% तक की बढ़ोतरी हुई है।
* बैंड-बाजा: बैंड-बाजा का न्यूनतम किराया अब 11000 रुपये से शुरू हो रहा है, जो पहले 5000 रुपये था।
* घोड़ी: घोड़ी का किराया भी 2100 रुपये से बढ़कर 3100 रुपये हो गया है।
बदलते रुझान:
* मल्टी कुजिन: पहले पारंपरिक व्यंजन ही शादियों में परोसे जाते थे, लेकिन अब युवाओं की पसंद के अनुसार मल्टी कुजिन मेन्यू पेश किए जा रहे हैं।
* डेस्टिनेशन वेडिंग: उच्च मध्यम वर्ग और एलीट क्लास के लोग डेस्टिनेशन वेडिंग को तरजीह दे रहे हैं।
* इवेंट मैनेजमेंट: शादियों को भव्य बनाने के लिए लोग इवेंट मैनेजमेंट का सहारा ले रहे हैं।
बढ़ता बजट:
* उच्च मध्यम वर्ग: इस वर्ग में शादी का औसत बजट 25 से 30 लाख रुपये तक पहुंच गया है।
* एलीट क्लास: एलीट क्लास के लोग 3-5 करोड़ रुपये तक खर्च कर रहे हैं।
खर्च कम करने के उपाय:
* मेहमानों की संख्या कम करना: लोग 1500-2000 के बजाय 800-1000 मेहमानों को आमंत्रित कर रहे हैं।
* दो अलग-अलग शहरों में आयोजन: कुछ लोग दो आयोजन अलग-अलग शहरों में करवा कर खर्च कम कर रहे हैं।
* मेन्यू में कटौती: मेन्यू में थोड़ी कटौती करके भी खर्च कम किया जा सकता है।
शादियों का सीजन: सात फेरों पर महंगाई की मार
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