उत्तराखण्ड
तो अब पटवाडांगर या एचएमटी की जगह में बनेगा हाइकोर्ट
हाईकोर्ट ने गौलापार के पूर्व प्रस्तावित स्थल को इसके लिए अनुपयुक्त माना
हल्द्वानी। हाईकोर्ट को नैनीताल से अन्यत्र शिफ्ट करने के लिए स्थान और भूमि की तलाश अब नए सिरे से शुरू हो गई है। अब स्वयं हाईकोर्ट ने गौलापार के पूर्व प्रस्तावित स्थल को इसके लिए अनुपयुक्त माना है। इसके बाद हाईकोर्ट में बुधवार को हुई वार्ता के बाद हाईकोर्ट बार ने किसी स्थान का सुझाव देना है और फिर शासन को वहां भूमि तलाशनी होगी।
ऐसे में नैनीताल के निकट पटवाडांगर में स्थित 103 एकड़ और रानीबाग के निकट एचएमटी से राज्य सरकार को मिली 45 एकड़ (वन और राज्य सरकार की खुली भूमि मिलाकर 91 एकड़) भूमि हाईकोर्ट की स्थापना के लिए बहुत उपयुक्त हो सकती है। इनमें से किसी भी स्थान पर हाईकोर्ट बनाया जाता है तो वहां न पेड़ काटने पड़ेंगे और न ही वन मंत्रालय, एनजीटी ना किसी अन्य आपत्ति की संभावना है। इन स्थानों पर बिजली, पानी, यातायात, पार्किंग सहित समस्त सुविधाएं पहले से ही उपलब्ध हैं। यह दोनों ही जगहें सुरम्य, प्राकृतिक और शांत क्षेत्र में स्थित हैं और यहां का मौसम भी नैनीताल या हल्द्वानी के मुकाबले अच्छा है। इन स्थानों के मुख्य मार्ग से हटकर होने के कारण यहां कोर्ट का संचालन भी आसान रहेगा।
नैनीताल-हल्द्वानी मार्ग पर नैनीताल से 12 किलोमीटर दूर स्थित पटवाडांगर में 103 एकड़ के विशाल और लगभग पांच अरब रुपये कीमत के इस बेशकीमती परिसर को 19 वर्षों से किसी भी रूप में उपयोग में नहीं लाया जा रहा है। यहां 1903 में वैक्सीन इंस्टीट्यूट की स्थापना की गई थी। वर्ष 1957 में इस संस्थान में एंटी रैबीज और बाद में टिटनेस की वैक्सीन का उत्पादन शुरू किया गया। वर्ष 1980 में विश्व से चेचक का उन्मूलन होने के बाद वर्ष 2003 तक यहां तरह-तरह की वैक्सीन बनती रहीं। बाद के वर्षों में आधुनिक तकनीक के अभाव में यहां वैक्सीन का निर्माण बंद कर दिया गया।
