हल्द्वानी। सनातन धर्म में भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक 16 दिन पूर्वजों के लिए समर्पित हैं। आचार्य मुकेश मिश्रा के अनुसार, इस बार पितृ पक्ष 17 सितंबर से शुरू हो रहा है, इसका समापन दो अक्तूबर को पितृ विसर्जन के साथ होगा।
इस दौरान पितृ ऋण से मुक्त होने के लिए श्राद्ध और तर्पण करना जरूरी है। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है। श्राद्ध के दिन सुबह स्नानादि के बाद तर्पण और पिंडदान करना चाहिए। पिंडदान के लिए मुट्ठीभर अनाज का पिंड (जौ के आटे, खीर या गाय के दूध से तैयार मावे का गोला) बनाकर उसे पितरों को अर्पण करना चाहिए।
इसके साथ ही गंगाजल, कुश, काले तिल, फूल-फल और दूध से बने पकवान अर्पण करने चाहिए। पूर्वजों के नाम से खाना निकालकर गाय, कुत्ता, और कौए को अर्पित करना चाहिए चाहिए। योग्य ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।
बुधादित्य योग में मनाई जाएगी अनंत चतुर्दशी
मंगलवार को अनंत चतुर्दशी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी) भी है। आचार्य पंडित विनीत शास्त्री के अनुसार सोमवार अपराह्न 3:05 बजे से ही चतुर्दशी प्रारंभ हो चुकी है, जो मंगलवार को दोपहर 11:45 बजे तक रहेगी।
उदया तिथि की प्रधानता के अनुसार अनंत चतुर्दशी मंगलवार को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य और बुध ग्रह एक साथ सिंह राशि में गोचर करेंगे। इससे बुधादित्य योग का निर्माण होगा। इस कारण अनंत चतुर्दशी पर ईश्वर की अनंत कृपा बरसेगी। यह पर्व भगवान विष्णु को समर्पित है। इस दिन भगवान गणेश जी की मूर्तियों का विसर्जन भी किया जाता है। इस दिन पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
17 सितंबर से शुरू हो रहा है पितृ पक्ष, दो अक्तूबर को पितृ विसर्जन के साथ होगा समापन
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